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कॉर्पोरेट प्रशासन, श्री नारायण मूर्ती, श्री के. वी. कामत और NDTV?

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तिथियां और घटनाएं
अक्टूबर 13, 2008 NDTV के  एक्सक्लूसिव साक्षात्कार  में  प्रनोय रॉय ने के वि कामत, चेयरमैन  ICICI बैंक से सरल सवाल पूछे ! उस समय  बैंक की हालत ठीक नहीं थी और हर कोई अपनी रकम को लेकर परेशान था
अक्टूबर 14, 2008 ICICI बैंक ने प्रनोय रॉय और उनकी पतिनी श्रीमती रॉय के नाम ३५० crore का  पर्सनल लोन मंज़ूर किया  ( CBI इस की जांच कर रहा
फ़रवरी 20, 2009 न  आर नारायणमूर्ति ने ईमेल के द्वारा NDTV  बोर्ड  से अपना इस्तीफा देने की सीधी जानकारी प्रनोय रॉय को दी थी ! ये जानकारी स्टॉक एक्सचेंज से, SEB और शेयरहोल्डर से छिपाई गयी I
मई 2, 2009 क वि कामत को INFOSYS के बोर्ड का सदस्य बनाया गया
अगस्त 3, 2009 NDTV  की  बैकडोर VCPL के हाथों  में चली गयी और ICICI के लोन भुगतान  में  बैंक को 48 crore का नुक्सान हुआ. CBI FIR के अनुसार
सितम्बर 17, 2009 न आर नारायणमूर्ति का इस्तीफा सार्वजनिक किया गया और इसकी जानकारी  ROC और स्टॉक एक्सचेंज को दी गयी

NDTV को लिस्ट करवाने के बाद से लेकर सितम्बर २००९ तक के समय के बीच प्रनोय रॉय  हमेशा इस बात  का ताल थोक  कर हर जगह प्रचार करते रहे  की उनकी संस्था  के बोर्ड के सदस्यओं  में  एक ऐसा नाम भी  शामिल है जो सिर्फ  Infosys और NDTV के बोर्ड के सदस्य हैं ! प्रनोय रॉय इस बात का भी खूब प्रचार किया करते थे  श्री न आर नारायणमूर्ति  इस के इलावा किसी दूसरी कंपनी के बोर्ड के सदस्य  नहीं हैं ! रॉय हमेशा इस उपलब्धि को लड़ाई के मैदान में जीते हुए एक मैडल के समान  समझते थे और यह सन्देश देने का प्रयास करते थे  की उनकी  संस्था के द्वारा  अपनाये गए गुड गवर्नेंस के मॉडल की  यह एक बेहतेरीन मिसाल है !

हैरान करने वाली बात यह है की जब श्री नारायणमूर्ति ने  अपना इस्तीफा  देने की बात साफ़ तौर पर २० फेब्रुअरी २००९ को ज़ाहिर कर दी थी  उस के बावजूद भी यह बात  बोर्ड मीटिंग में न तो साझा की गयी और न ही रिकॉर्ड में दर्ज की गयी !

अब ऐसे समय में जब नारायणमूर्ति ख़बरों में बने हुए हैं  PGurus की टीम  द्वारा की गयी जाँच परताल में कुछ सवाल सामने आये हैं जिनका जवाब सिर्फ प्रनोय रॉय और खुद श्री नारायणमूर्ति ही दे सकते हैं !

भारत सरकार के अधीन रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज (ROC) में दाखिल की गयी जानकारी के अनुसार  हमे यह पता चला है  की श्री नारायणमूर्ति ने  NDTV के बोर्ड की सदस्यता से  सितम्बर १७, २००९ को अपना इस्तीफा  दिया था !

इस के साथ ही साथ श्री नारायणमूर्ति ने  इस  रहस्य का भी पर्दाफाश करने की नीयत से एक ईमेल का ज़िक्र करते हुए यह भी लिखा है ….

…….मैं इस समय NDTV के सदस्य की हैसियत से अपना समय नहीं दे सकता ! मैंने आप को २० फेब्रुअरी,  को जो ईमेल लिखी थी २००९ उस के अनुसार मैं  अपने NDTV के डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे रहा हूँ !…….

हैरान करने वाली बात यह है की जब श्री नारायणमूर्ति ने  अपना इस्तीफा  देने की बात साफ़ तौर पर २० फ़रवरी २००९ को ज़ाहिर कर दी थी  उस के बावजूद भी यह बात  बोर्ड मीटिंग में न तो साझा की गयी और न ही रिकॉर्ड में दर्ज की गयी !

यह  तारिख उनके इस्तीफे की असली तारिख भी नहीं मानी गयी ! बोर्ड के रिकॉर्ड के अनुसार उनका इस्तीफा १७ सितम्बर २००९ को दर्ज किया गया है !

कानून के मुताबिक और प्रथा के हिसाब से ऐसा माना गया है जब भी किसी लिस्टेड कम्पनी के बोर्ड का डायरेक्टर अपने पद से इस्तीफा देने की इच्छा ज़ाहिर करता है तो कॉर्पोरेट गवर्नेंस  और ट्रांसपेरेंसी की मिसाल कायम करने के लिए  डॉ प्रनोय रॉय को यह जानकारी बोर्ड को और अन्य सदस्यों को  देना लाज़मी थी !

कानून की  भाषा में कहे तो ROC के वेबसाइट पे जो अधिकारिक इस्तीफा दर्ज किया गया है उस की तारिख  २० फ़रवरी, २००९ बताई गयी है !

यह पूरा मामला एक बहुत ही गंभीर उल्लंघन की श्रेणी में आता है  क्यूंकि अपने आप को पहला कॉर्पोरेट सिटीजन बताने वाले और दुनिया भर में इस बात का ढिंढोरा पीटने वाले आदमी ने यह बात परदे में रखी की श्री नारायणमूर्ति  के NDTV के बोर्ड में  इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के पद से इस्तीफा २० फेब्रुअरी २००९ को ही दे दिया था !  एथिक्स और गुड गवर्नेंस को तक पे रख कर उन्होंने इस बात को न तो बोर्ड के सामने आने दिया और न ही माइनॉरिटी शरेहोल्देर्स  को इसकी भनक लगने दी !

श्री  नारायणमूर्ति और डॉ प्रनोय रॉय ने यह सच  जनता के सामने क्यूँ नहीं रखा! उन्होंने किस वजह से मौन धारण कर के रखा था और इस के पीछे की उनको मंशा क्या थी !

इस घटना क्रम का इतना महत्व इस लिए भी है क्यूंकि २० फ़रवरी २००९ और १७ सितम्बर २०१९ के बीच  जो कुछ  लेन देन हुआ और जिस प्रकार से कंपनी के प्रमोटर्स द्वारा अनजान लोगों को कण्ट्रोल ट्रान्सफर किया गया वो सब SEBI के नियम कानून, RBI और INFORMATION and BROADCASTING मिनिस्ट्री के नियमो को तक पे रख कर किया गया !

साजिश की बू इस बात से साफ़ नज़र आती है  जिस प्रकार से गैरकानूनी ढंग से एक बोगस कंपनी (Vishvapradhan Commercial P LTD) को कण्ट्रोल सौप दिया गया !फिलहाल SEBI इस की जांच कर रही की किस प्रकार इस साजिश को अंजाम दिया गया  ! क्या इस की जानकारी  ICICI Bankके भूतपूर्व  चेयरमैन  श्री के वि कामथ को थी या नहीं! कामथ  श्री नारायन्मुढ़टी के एक अच्छे दोस्त माने जाते हैं  और  Infosys के बोर्ड के सदस्य थे !

श्री नारायणमूर्ति को सम्भवते इस बात की जानकारी होगी की  किसी भी प्रकार के लोन की  भुगतान की शर्तों   जिस का मूल्य ३५० क्रोरेस से ज्यादा का हो  बैंक के चेयरमैन की इजाजत  के बिना संभव नहीं हो सकता और संभवता इस सब के चलते  श्री नारायणमूर्ति, के वि कामत और बैंक के बड़े  अधिकारिओं की मिलीभगत से  प्रनोय रॉय और राधिका रॉय की  मदद करने की कोशिश की गयी !

एक और बात गौर करने की है की क्या श्री नारायणमूर्ति को इस बात की जानकारी थी की साइनिंग पार्टनर ऑफ़ PWC (statutory auditors of  NDTV)  और साइनिंग पार्टनर ऑफ़  प्रमोटर्स पर्सनल होल्डिंग  कम्पनी (RRPR Holding P Ltd).

इस के इलावा वही आदमी  दो साल पहले PWC छोड़ कर NDTV के इन्देपेंद्नेट डायरेक्टर   के पद पर बैठ है !  RRPR Holding एंड Roys के खिलाफ सीबीआई ने  ICICI बैंक मामले में  FIR दर्ज की हुई है !

अभी इस बात की जानकारी नहीं है की इस मामले की जांच कहाँ तक पहुंची है !

CBI ने इस मामले में FIR २ जून, २०१७ को दर्ज की है !

तर्क सांगत होगा की CBI और SEBI सभी बोर्ड के सदस्यों की एक बार फिर से परताल करें और श्री नारायणमूर्ति से भी सवाल करें और यह जानकारी हासिल करें  की उस समय  उनसे यह जानकारी क्यूँ छिपा कर राखी गयी थी !

कानूनी  दांव पेंच के इलावा श्री नारायणमूर्ति, के वि कामथ और प्रनोय  रॉय को यह बात साफ़  करनी चाहिए  की आखिर सार्वजनिक जीवन में मूल्यों की , कॉर्पोरेट गवर्नेंस की, साफ़ सुथरे आचरण की मिसाल कायम करना कितने महतवपूर्ण है !

सनद रहे प्रनोय रॉय ने श्री कामथ का ऐसे समय में इंटरव्यू किया था  जब बैंक कठिनाई के दौर से गुज़र रहा था ! इस इंटरव्यू की तरीक १३ अगस्त २००८ थी ! साथ  ही ICICI ने NDTV को १४ अगस्त २००८ को लोन मंज़ूर किया था ! इस के बाद  २० जून २००९ को के वि कामत INFOSYS के बोर्ड के सदस्य बनाये गए !

Narayana Murthy_resignation Letter Feb 20 2009 Communication by PGurus on Scribd

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