एनडीटीवी और उसके गुप्त प्रवर्तकों के बारे में चीजें काफी तेजी से सुलझ रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली उच्च न्यायालय में 31अक्टूबर, 2017 को कार्यवाही के दौरान, अल्पसंख्यक शेयरधारक क्वांटम सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका क्वांटम सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम प्रवर्तन निदेशालय और महानिदेशक, आयकर (अन्वेषण) और अन्य के मामले में माननीय कोर्ट प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शुरू की गई जांच की गति से नाखुश था। न्यायालय का मानना था कि चूंकि यह स्पष्ट हो गया है कि प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ मजबूत आरोप हैं इसलिए प्रवर्तन निदेशालय जान बूझकर कार्यवाही में देरी कर रहा है और जांच को तर्कसंगत निष्कर्ष तक नहीं ले जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, कार्यवाही के दौरान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर हलफनामे में एक प्रख्यात यूपीए मंत्री और एनडीटीवी के बीच संबंधों का आरोप लगाया। न्यायालय का मानना था कि निदेशालय का इस मामले की जांच को समय पर और तर्कसंगत तरीके से पूरा करना महत्वपूर्ण है चाहे कथित रूप से लिप्त व्यक्ति कितने भी शक्तिशाली और प्रभावशाली हों। अदालत ने विस्तार से यह भी संज्ञान लिया कि प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और अन्य एजेंसियों के कब्जे में रिकॉर्ड और दस्तावेजों को 5 साल से ज्यादा का समय हो गया है और जैसा याचिकाकर्ता का आरोप है कि सभी एजेंसियां एनडीटीवी और इसके प्रवर्तकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उनकी रक्षा कर रही हैं। अंत में, माननीय न्यायालय ने फरवरी, 2018 की अगली तारीख तक नवीनतम रिपोर्ट दर्ज करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय और महानिदेशक, आयकर को निर्देश दिया। उच्च न्यायालय का आदेश (इस लेख के अंत में संलग्न) स्व-व्याख्यात्मक है और यह दर्शाता है कि प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्यवाही शुरू की थी। इसके अलावा, सितंबर, 2015 और फरवरी, 2017 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर किए गए हलफनामे स्पष्ट रूप से एक प्रख्यात यूपीए नेता और सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक के बीच संबंधों का स्पष्ट रूप से आरोप लगाते हैं। कथित गठजोड़ से सम्बन्धित 2 पैराग्राफ नीचे दिए गए हैं :
चित्र 1. Is Chidambaram the secret investor in NDTV?
उच्च न्याालय के निर्देश की प्रति और प्रवर्तन निदेशालय के दोनों हलफनामों का सेट लेख के अंत में संलग्न है।
वीसीपीएल की भूमिका – रिलायंस से एनडीटीवी में कैसे पारित हुए फंड
प्रवर्तन निदेशालय ने निर्धारण किया है कि 403.85 करोड़ रुपए की सटीक राशि रिलायंस वेंचर्स से शिननो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, वहां से वीसीपीएल लिमिटेड और वहां से आरपीपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड में स्थानांतरित की गई जो कि एनडीटीवी की होल्डिंग कंपनी है। समझने के लिए नीचे का चित्र 2 देखें :
चित्र 2. How the funds got routed into NDTV
यदि आप सोच रहे हैं कि यह धन इतनी संस्थाओं के माध्यम से क्यों पारित किया गया, इस लेख में वर्णित धन को कई स्तरों पर पारित करने के तरीके को देखें।
यह निवेश निम्नलिखित शर्तों के साथ आया था:
1. एनडीटीवी फॉर होल्डिंग्स लिमिटेड, मॉरीशस एनडीटीवी स्टूडियो प्राइवेट में 8 करोड़, 50 लाख अमेरिकी डालर का निवेश करेगा
2. ऋणदाता की संतुष्टि के लिए 8 करोड़, 50 लाख अमेरिकी डालर का उपयोग
बेशक, यह लॉन्ड्रिंग / फेमा उल्लंघनों का एक स्पष्ट मामला है और उससे भी महत्वपूर्ण यह आईपीसी के तहत विश्वासघात का एक बड़ा आपराधिक मामला है क्योंकि प्रमोटर इकाई आरआरपीआर होल्डिंग प्रा लि ने अपनी सूचीबद्ध कंपनी एनडीटीवी की परिसंपत्तियों (8 करोड़, 50 लाख अमेरिकी डालर) का दुरुपयोग करके धन लिया। वास्तव में सेबी द्वारा इसकी जांच करके त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि प्रवर्तकों द्वारा शेयरधारकों के धन का दुरुपयोग किया गया है।
संक्षेप में, प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और यह भी पंजीकृत भी कर ली गई है। विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत एनडीटीवी के प्रवर्तकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
सम्बन्धित तीन संलग्नक नीचे सूचीबद्ध हैं :
PGurus द्वारा Scribd पर प्रकाशित माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय का 31 अक्टूबर, 2017 का आदेश :
ED Affidavit Sept 29 2015 by PGurus on Scribd
ED Affidavit Feb 2017 by PGurus on Scribd
चित्र 3 में दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय में उल्लेखित प्रतिवादियों की सूची है :
चित्र 3. List Of Respondents
Delhi HC Order 31.10.2017 by PGurus on Scribd
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What all it means? Is our law, corportae systems, regulations, procedures. and compliance are so weak? Clever people can drill holes and continue with all illegal practices? Finally, as a voter of BJP, what did they do? Did they put anyone in prison? UPA put some persons in jail for sometime. Totally fed up in reading about UPA's corruption even when they are not in power.