
अक्टूबर २००६ में जब से फारूक अहमद दार उर्फ़ बिट्टा कराटे, जो की कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के लिए भी जाना जाता है, जेल से रिहा हुआ है वो कश्मीर घाटी में चैन की ज़िन्दगी गुज़र बसर कर रहा था और साथ ही पाकिस्तान की खुफिया ISI एजेंसी के इशारे पे हालात ख़राब करवाने के लिए और पथार्बाज़ी करवाने के लिए मोटी रकम ऐंठ रहा था!
बिट्टा कराटे उन मुठी भर आतंकवादियों में शामिल थे जिन्होंने १९८९ में सीमा रेखा के पार जा कर आतंक की शिक्षा प्राप्त की और कश्मीर घाटी में आतंकवाद की नींव डाली !
इस पैसे से बिट्टा कराटे ने कश्मीर घाटी में करोरों रूपए की बेनामी सम्पति जमा की है और लगातार इस कोशिश में रहता था की मौका मिलने पे कब और कहाँ कैसे हंगामा करवाना है जिस से कश्मीर घाटी में अशांति फैली रहे !
बिट्टा कराटे और उस के इलावा बाकि के अलगाववादी नेतोँ के खिलाफ जब से National Investigation Agency ने अपनी जांच पड़ताल शुरू की है एक के बाद एक खुलासे हो रहे !
जैसे जैसे इन अलगाववादी नेताओं के खिलाफ जांच आगे बढ़ रही है इन तथाकतिथ अलगाववादी नेताओं का असली चेहरा जनता के सामने आ रहा है !
इस बात का भी खुलासा हो रहा है की कैसे यह मुठी भर लोग मिल कर पूरी मुल्क के अवाम को गुमराह कर रहे थे और आज़ादी के नाम पे सिर्फ अपनी और अपने रिश्तेदारों की तिजोरियां भर रहे थे !
बिट्टा कराटे उन मुठी भर आतंकवादियों में शामिल थे जिन्होंने १९८९ में सीमा रेखा के पार जा कर आतंक की शिक्षा प्राप्त की और कश्मीर घाटी में आतंकवाद की नींव डाली !
बिट्टा कराटे के अनुसार उन्होंने खुद इस बात को टीवी पे दिए साक्षात्कार में इस बात को कबूला था की उन्होंने खुद अपने हाथों से ३० से ज्यादा कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारा है जिस के बाद कश्मीरी पंडित परिवार घाटी से पलायन करने पे मजबूर हो गए थे !
लगभग १६ साल जेल में रहने के बाद बिट्टा कराटे को २३ अक्टूबर २००६ में TADA अदालत में रिहा कर दिया थ ! क्या वजह थी की उनके खिलाफ सरकार इतने भी सबूत जमा नहीं कर पाई के उनके खिलाफ कोई कारवाही की जाती और उनके जुर्म की सजा सुनायी जाती !
रियासती सरकार का संरक्षण हासिल था इसलिए सख्त कार्यवाही से बाख गए बिट्टा कराटे
जब से फारूक अहमद दार उर्फ़ बिट्टा कराटे जेल में भारती थे उस समय से ही रियासत की सरकार का उनके प्रति नरम रवैया रहा और शायद येही वजह थी की राज्यपाल शाशन के समय में भी उनके खिलाफ सबूत जुटाने में मुश्किल पेश आती थी ! इतनी लम्बी लड़ाई लड़ने के बावजूद भी १६ साल जेल में बांध रहने के बाद २३ अक्टूबर २००६ को बिट्टा कराटे को जेल से रिहा कर दिया गया !
बस इतना ही नहीं रियासत की किसी भी सरकार ने उस के खिलाफ कोर्ट में मजबूत केस लड़ा ही नहीं ! अभी हाल ही मैं जब एक टीवी चैनल पे बिट्टा कराटे के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन हुआ और जिसमें सीधा सीधा उनका अपना स्टेटमेंट कैमरा पे रिकॉर्ड हुआ था उस पे कार्यवाही करना तो दूर रियासत के सरकार ने कश्मीरी पंदित्यों के जख्मो पे नमक छिड़कते हुए उनकी बीवी को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए श्रीनगर में GST कौंसिल की मीटिंग में एक अधिकारी के पद पे तैनात किया था ! रियासत की सरकार ने यह आदेश माय १५, २०१७ को जारी कर इस बात की सूचा दी थी की रियासत के चुनिन्दा ऑफिसर GST कौंसिल की बैठक को सफल बनाने के लिए तैनात किये जा रहे हैं !
इस समय बिट्टा कराटे के काले कारनामों का हिसाब NIA के अधिकारी खुद रख रहे और उनके तमाम बैंक के खातों का हिसाब देख रहे जिस से इस बात का खुलासा किया जा सके की किस प्रकार से पाकिस्तान की खुफिया ISI एजेंसी से पैसे लेकर वो और उनके साथी कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी को अंजाम दे रहे थे ! बिट्टा कराटे फिलहाल NIA की हिरासत में हैं और जांच में सहयोग कर रहे हैं !
प्राप्त जानकारी के अनुसार NIA ने जब से इन अलगाववादी नेताओं के खाते खंगालना शुरू किया है उस के हाथ बहुत पुख्ता जानकारी लगी है और वो धीरे धीरे शिकंजा कस रहे !
कश्मीर घाटी में जयदाद की सूची
- एक ४ मंजिला मकान जो गुरुबज़र में ४.५ मरला जमीन पे बना हुआ है ! इस मकान की कीमत ६७ लाख बताई जाती है
- एक २ मंजिला इमारत जो नसीम बाग़ में हजरतबल इलाके में १ कनाल के प्लाट पे बनी है और जिस की फेंसिंग पूरी की गयी है और बाकि का काम अभी बाकि है
- ED arrests AAP MP Sanjay Singh in Delhi Excise policy case after raids - October 4, 2023
- Canadian allegations against India ‘serious’, need to be fully investigated: US - October 4, 2023
- Delhi excise scam: Court allows two accused bribe givers to turn approver in money laundering case - October 3, 2023