ममता पूजा पर राजनीति खेल रही हैं? मुहर्रम पर दुर्गा विसर्जन प्रतिबंधित करती हैं। यह शासन है या तुष्टीकरण?
मुहर्रम इस वर्ष दशहरा के एक दिन बाद ही है । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दशहरे के मूर्ति विसर्जन पर 1 अक्टूबर को फतवा जारी किया है, जो कि मुहर्रम का निर्धारित दिन है। जाहिर तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए लिया गया यह फैसला, वास्तव में मुस्लिम मुस्लिम तुष्टीकरण का एक उदाहरण है।
उसके ऊपर, वह अन्य लोगों पर इस मुद्दे से राजनीतिक लाभ ऐंठने के आरोप लगाते हैं। उन्होंने पूछा, “राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे कुछ लोगों की वजह से हमें क्यों दोषी ठहराया जाना चाहिए?” जिन लोगों का वह उल्लेख कर रही हैं, वे जाहिर तौर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं लेकिन वास्तविकता में “राजनीतिक लाभ” का अवसर कौन दे रहा हैं? वह और उनकी पार्टी बेहद खतरनाक इस्लामवादियों से संपर्क में हैं, मूर्ति विसर्जन को बदलना केवल उसका एक उदाहरण है । वह इस उम्मीद में तो नहीं रह सकती कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों मूकदर्शक बने रहें। कांग्रेस और कम्युनिस्टवादी हिंदू कार्ड खेलने में झिझक सकते हैं, लेकिन भाजपा के पास इसका कोई कारण नहीं है; वास्तव में वह ऐसे अवसरों का स्वागत करती है।
क्या पश्चिम बंगाल के लोगों को सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों को रोक देना चाहिए की कहीं आतंकवादियों या अन्य विधर्मी कोई बखेड़ा ना खड़ा कर दें ?
पीटीआई की 23 अगस्त की रिपोर्ट के अनुसार ममता ने जिले में एसपी [पुलिस अधीक्षक] को अपनी रैलियों के आयोजन के संबंध में दुर्गा पूजा समितियों और मुहर्रम समितियों से बात करने का निर्देश दिया और कहा कि – “1 अक्टूबर को कोई मूर्ति विसर्जन नहीं होगा जो की मुहर्रम का दिन था ।इसलिए, उनके फरमान के अनुसार, विसर्जन 2 अक्टूबर को फिर से शुरू होगा और 4 अक्टूबर तक जारी रहेगा।”
उनके प्रशासन ने इस आधार पर इस कदम को तर्कसंगत बनाया है कि मुहर्रम और विसर्जन दोनों के साथ में होने से कानून-व्यवस्था की समस्याएं हो सकती हैं। यह बहुत ही मूर्ख तर्क है। हर सार्वजनिक कार्यक्रम- दिवाली, या होली, कोई अन्य त्योहार, एक क्रिकेट या फुटबॉल मैच, एक राजनीतिक रैली, एक रॉक कॉन्सर्ट- एक आतंकवादी हमले का लक्ष्य हो सकता है। क्या पश्चिम बंगाल के लोगों को सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों को रोक देना चाहिए की कहीं आतंकवादियों या अन्य विधर्मी कोई बखेड़ा ना खड़ा कर दें ? क्या वे सभी त्यौहारों को मनाना रोक दें ?
आतंकवादियों और विघ्न निर्माताओं के खिलाफ कायरता से पेश आने के अलावा, ममता बैनर्जी का फैसला भी अपनी सरकार की अयोग्यता की स्वीकृति है। कानून और व्यवस्था राज्य की जिम्मेदारी है; मुहर्रम पर विसर्जन पर प्रतिबंध लगाने से, उन्होंने यह स्वीकार कर लिया है कि उनका प्रशासन अक्षम है।
ममता बैनर्जी का फतवा न सिर्फ नैतिक रूप से प्रतिकूल है बल्कि यह राजनीतिक रूप से भी हानिकारक साबित हो सकता है।
यह सवाल स्पष्ट हैं कि क्यों वह मुसलमानों को अपने त्योहार को किसी दूसरे दिन स्थानांतरित करने के लिए क्यों नहीं कहती हैं। प्रत्येक जाती के साथ समान व्यवहार होना चाहिए । पर वह ऐसा नहीं करेंगी और न ही कोई अन्य गैर-भाजपा राजनीतिज्ञ ऐसा करेंगे।मुस्लिमों को धार्मिक स्वतंत्रता का आनंद मिलता है जैसा हमारे संविधान में निहित है। लेकिन जब अन्य धर्मों की बात आती है, तब उन्हें अपने त्योहार के कार्यक्रमों को बदलने का आदेश दिया जाता है ।
हालांकि, ममता बैनर्जी ऐसा नहीं सोचती हैं; उन्हें लगता है कि हिंदुओं के साथ तुच्छ व्यवहार हो सकता है; वह हर समय उनके प्रति ऐसा ही आचरण रखती हैं। पिछले साल भी, उनके प्रशासन ने दशहरे पर मूर्ति विसर्जन रोकने की कोशिश की, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया, उन्होंने यह दोहराया है और इस निर्णय को फिर से अदालत में चुनौती मिलने की पूरी संभावना है।
वह इतनी बेवकूफ नहीं हैं कि उन्हें अपने आदेश की कानूनी कमजोरियों का एहसास न हो ।शायद वह सिर्फ अपने राज्य के मुसलमानों को, जो कि राज्य की आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं, एक संदेश देना चाहती हैं कि वो उनकी परवाह हिंदुओं से अधिक करती हैं ।शायद उनकी चाल अन्य राज्यों की सरकारों द्वारा घोषित नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में मुसलमानों के लिए आरक्षण से अलग नहीं है; जो न्यायपालिका द्वारा आधिकारिक नियमित रूप से अस्वीकृत कर दी गई हैं।
ममता बैनर्जी का फतवा न सिर्फ नैतिक रूप से प्रतिकूल है बल्कि यह राजनीतिक रूप से भी हानिकारक साबित हो सकता है। मैंने पहले भी बताया है कि भाजपा आम तौर पर अपने फायदे के लिए इन परिस्थितियों कi ध्रुवीकरण करती है। वैसे, सोशल मीडिया पर भी भगवा सभासद ने काफी नाराजगी दर्ज़ की है। कुछ ट्वीट्स इस प्रकार हैं: “ममता दुर्गा के विसर्जन पर रोक लगाती हैं, क्यूंकि उसी दिन मुहर्रम है। इसके बाद, वह हिंदुओं को बंगाल छोड़ने के लिए कहेंगी, क्योंकि मुसलमान उसी स्थान पर रहते हैं। “” बांग्लादेश जैसे पड़ोसी इस्लामिक राज्य में भी दुर्गा पूजा पर विसर्जन पर कोई रोक नहीं है। इस जिहादी त्रिणमूल पार्टी को प्रतिबंधित करें। “ममता पूजा पर राजनीति खेल रही हैं? मुहर्रम पर दुर्गा विसर्जन प्रतिबंधित करता है। यह शासन है या तुष्टीकरण? “।
भाजपा जरूर ही भगवा सभासद की इस नाराज़गी का फायदा उठायेगी ।
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