कश्मीर घाटी में शांति बहाल करने के लिए क्या केंद्र सरकार अलगाववादी नेताओं के खिलाफ मुक़दमे वापिस लेगी ?

कश्मीर घाटी में बातचीत का माहौल त्यार करने की नियत से केंद्र सरकार हर कोशिश करना चाहती है ताकि हर कोई बातचीत करने के लिए तयार हो जाये

कश्मीर घाटी में शांति के लिए क्या केंद्र सरकार अलगाववादी नेताओं के खिलाफ मुक़दमे वापिस लेगी ?
कश्मीर घाटी में शांति के लिए क्या केंद्र सरकार अलगाववादी नेताओं के खिलाफ मुक़दमे वापिस लेगी ?

बीजेपी की घटक दल पीडीपी भी लगातार इस बात का प्रयास कर रही है की केंद्र सरकार किसी भी तरीके से एक दफा अलगाववादी नेताओं के साथ बातचीत का दौर शुरू करें

जब से जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पत्थरबाजों को हीलिंग टच देने की घोषणा की और उसके तुरंत बाद अधिकारिक तौर पे 4327 कश्मीरी युवाओं के खिलाफ पत्थरबाजी के मामले वापस लेने का आदेश जारी किया है उस वक़्त से अलगाववादी नेताओं को ऐसा लगने लगा है कि कश्मीर घाटी में बातचीत का माहौल त्यार करने की नियत से केंद्र सरकार हर कोशिश करना चाहती है ताकि हर कोई बातचीत करने के लिए तयार हो जाये !

अलगाववादी नेताओं के एक खेमे में इस बात की चर्चा गरम है कि जरूरत पढनें पे अगली कड़ी में सियासी बंदियों के  खिलाफ दाखिल मामलों की भी समीक्षा कर उन्हें वापिस लेने की भी सिफारिश की जा सकती है !

किसी न किसी तरह इस दफा अलगाववादी नेताओं को बातचीत के लिए राज़ी कर एक नयी शुरुवात की जा सकती है !

क्या सच में केंद्र सरकार ऐसा कदम उठा सकती है इस सवाल का जवाब देना संभव नहीं है लेकिन ऐसा हो सकता है यह कहना भी नामुमकिन नहीं है !

ऐसा इसलिए की जब से केंद्र सरकार ने एक नयी पहल की है और केंद्रीय खुफिया एजेंसी के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा को एक अहम् भूमिका सौंपी है उस समय से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि किसी न किसी तरह इस दफा अलगाववादी नेताओं को बातचीत के लिए राज़ी कर एक नयी शुरुवात की जा सकती है !

ऐसे में यह कहना भी तर्कसंगत होगा की उस समय तक किसी अलगाववादी नेता से इस बातचीत की प्रक्रिया में शामिल होने की उम्मीद नही की जा सकती जब तक उस के खिलाफ दर्ज मुक़दमे वापिस लिए जाने की प्रक्रिया आरम्भ नहीं की जाये !

बिना इस शर्त को पूरा किये हुए वैसे भी उनमें से किसी के भी बातचीत की प्रक्रिया में शामिल होने की उम्मीद न के बराबर थी !

येही वजह थी जो अपने पहले और दुसरे दौरे के दौरान दिनेश्वर शर्मा किसी एक भी अलगाववादी नेता के साथ मुलाकात नहीं कर सके !

अपनी पहली दौर की बातचीत के दौरान और अपनी सियासी लोगों से मीटंग के बाद शर्मा साहिब ने इस बात का मन बना लिया था की वो रियासत के कुछ चुनिन्दा विधायकों की मदद से अलगाववादी नेताओं का मन टटोलने में कामयाब होंगे और बातचीत का रास्ता खोलने की एक और सची पहल करेंगे !

जब से केंद्र सरकार के वार्ताकार ने कुछ सियासी मित्रों की मदद से अलगाववादी नेताओं की खेमे में सेंध लगाई है उस से इतना तय है की अपने अगले दौरे से पहले दिनेश्वर शर्मा किसी प्रकार से किसी एक धड़े को बातचीत के लिए तयार कर लेंगे !

अपनी तरफ से केंद्र की सरकार ने रियासत की सरकार के साथ मिल कर कुछ ऐसे कदम उठाना भी शुरू किये हैं जिस से माहौल में कुछ तब्दीली आ रही है !

जब से ऐसा हुआ है उस समय से अलगाववादी नेताओं में भी खलबली मची हुई है ! उनका अपना खेमा बातचीत की प्रक्रिया को लेकर बट गया है !

कुछ चुनिन्दा अलगाववादी नेता भी ऐसे संकेत देने में कामयाब हुए हैं जिससे आने वाले दिनों में बातचीत की प्रक्रिया आरम्भ हो सकती है !

सरकार की तरफ से इस बात पे जोर दिए जा रहा है कि किसी को भी बातचीत में शामिल होने की खुली छूट है लेकिन मोटे तौर पे बातचीत का दायरा हिंदुस्तान के संविधान के अनुसार ही तय किया जाना चाहिए ! इस दायरे से बहार और किसी से भी किसी किस्म की कोई बातचीत नहीं होगी !

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहली बार पत्थरबाजी करने वाले युवाओं के खिलाफ मामले वापस लेने का फैसला केंद्र सरकार का है।

ऐसा लगता है अपने सियासी मित्रों के मदद से दिनेश्वर शर्मा जी ने अलगाववादी खेमे में सेंध लगा कर इस बात की यकीन दहानी जरूर करवा दी है कि नज़र बंद रह कर और अपने आलिशान माकन में बैठे रहने से किसी भी मसले का हल नहीं निकल सकता! यदि उनकी मंशा बातचीत की है तो सरकार भी बातचीत के लिए टेबल पे आने के लिए तयार है !

ऐसे खुले सन्देश मिलने पे है पिछले हफ्ते अपने एक ब्यान में मौलवी उम्र फारूक ने भारत सरकार से एक अपील की है कि अगर केंद्र सरकार सियासी कैदियों की रिहाई के चलते कोई बड़ा क़दम उठाने के लिए तयार है तो उनको भी बातचीत से कोई परहेज नहीं है ! उनका साफ़ साफ़ यह भी मानना है ही कश्मीर घाटी में ऐसी पहल कर यह सन्देश जायेगा की बातचीत पहले साज़गार माहौल पैदा करने में केंद्र की सरकार ने एक इमानदार कोशिश जरूर की है !

महबूबा का नहीं, केंद्र का है मामले वापस लेने का फैसला

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहली बार पत्थरबाजी करने वाले युवाओं के खिलाफ मामले वापस लेने का फैसला केंद्र सरकार का है। महबूबा मुफ्ती को सिर्फ इस फाइल पर हस्ताक्षर करने थे। बुधवार को पत्थरबाजों के खिलाफ मामले वापस लेने को महबूबा सरकार के हीलिंग टच के रूप में पेश किए जाने पर उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि यह फैसला दिल्ली में वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा व केंद्रीय गृह मंत्रलय का था।

पीडीपी भी सियासी कैदियों की रिहाई चाहती है

की घटक दल पीडीपी भी लगातार इस बात का प्रयास कर रही है की केंद्र सरकार किसी भी तरीके से एक दफा अलगाववादी नेताओं के साथ बातचीत का दौर शुरू करें ताकि इस बात को बल मिल सके की रियासत की सरकार केंद्र की सरकार के साथ बिलकुल ताल मेल मिला कर चल रही और रियासत को इस दल दल से निकालने के लिए तत्पर है ! पीडीपी के आला नेता निज़ाम उड़ दिन भट ने कहा हम भी भारत सरकार के इस फैलसे का स्वागत करते हैं जिस के हवाले से इतनी बड़ी तय्दाद में पत्थरबाजों पे दयार मुक़दमे वापिस लेने के शुरुवात हुई है ! इस के साथ ही पीडीपी नेता ने कहा की अब समय आ गया है अब रियासत की जेलों में बांध सियासी कड़ीयों की रिहाई का भी फरमान सुनाया जाना चाहिए ताकि कश्मीर पे बातचीत के लिए हर किस्म के लोगों की अपनी राइ शामिल हो !

रियासत की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को इस बात की चिंता नहीं है की कौन उनके के खिलाफ बयां दे रहा और क्यूँ उनकी निंदा कर रहा वो केवल अपनी पार्टी के हीलिंग टच के एजेंडा को आगे ले जाना चाहती है !

फिलहाल रियासत की सरकार इस बात पे राज़ी नहीं हुई है लेकिन वक़्त का क्या पता किस करवट बैठेगा और क्या फैसला होगा ! अभी फिलहाल खुफिया तंत्र के लोग अलगाववादी नेताओं पे कड़ी नज़र रखे हुए है ! अभी तक इस बात पे किसी ने सफाई नहीं दी है की सभी अलगाववादी नेता इस फैसले के हक में हैं या उनके बीच आपसी रसा कस्सी होना लाजमी है !

धीरे धीरे ज़मी हुई बर्फ पिघलना शुरू हो रही और इस बात का भी एहसास होने लगा है की अगर केंद्र सरकार एक पहल कर सकती है तो अलगाववादी नेताओं को भी अपना रुख बदलना पड़ेगा और अपनी सियासत को पीछे रख कर कश्मीर के मुद्दे पे बातचीत के लिए टेबल पे बैठना पड़ेगा !

महबूबा मुफ़्ती अपने सियासी एजेंडा पे अडिग खड़ी है

रियासत की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को इस बात की चिंता नहीं है की कौन उनके के खिलाफ बयां दे रहा और क्यूँ उनकी निंदा कर रहा वो केवल अपनी पार्टी के हीलिंग टच के एजेंडा को आगे ले जाना चाहती है !
इसी सिलसले में उन्होंने रियासत की पुलिस को साफ़ आदेश दिए हैं की उन्हें अपनी ड्यूटी करते समय इंसानी पहलु को भी ध्यान में रखना जरूरी है !

उनका कहना था कि आतंकियों को ख़तम करने से आतंकवाद ख़तम नहीं होगा इसके लिए आतंकवाद से जुड़े कारणों को पहले ख़तम करना होगा !

महबूबा ने कहा रियासत की पुलिस बाकि राज्यों की तुलना में अति संवदेनशील ड्यूटी को अंजाम देती है क्यूंकि यहाँ कश्मीर पुलिस आये दिन पथरों और गोलियों का सामना करती है ! उनकी पीठ थपथपाते हुए महबूबा ने कहा पुलिस का पहला फ़र्ज़ है लोगों की हिफाजत करना फिर चाहे वो पुलिस के पास आया कोई मुजरिम ही क्यूँ न हो !

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