सत्ता से बहार होते ही डॉ फारूक पाकिस्तान परस्त क्यों हो जाते हैं ?
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर दिए गए एक विवादित बयान को लेकर सियासत एक मर्तबा फिर गरमा गयी है ।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब डॉ फारूक अब्दुल्ला ने, जो इस समय श्रीनगर से लोक सभा के सांसद भी हैं, कोई विवादित बयाँ दिया हो । सत्ता के गलियारों से दूर रह कर अक्सर डॉ अब्दुल्ला ऐसी बयाँ बाज़ी करते रहें है और उनपे आज तक किसी ने कोई कानूनी कार्यवाही भी नहीं की । शायद येही वजह है कि खबरों में बने रहने के लिए वो आये दिन उलूल जलूल बातें करते रहते हैं ।
पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है : डॉ फारूक
इस दफा उन्होंने यह कहकर नया विवाद खड़ा किया है की पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है और यह जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान का हिस्सा है । ऐसे कहते हुए डॉ अब्दुल्ला ने 1994 में भारतीय संसद द्वारा पारित प्रस्ताव की घोर निंदा की है और उस के प्रति अविश्वास जाहिर किया ।
फारूक ने कहा, आखिर कब तक ऐसे ही बेगुनाह लोगों का खून घाटी में बहता रहेगा और हम यह कहते रहेंगे कि पीओके हमारा हिस्सा है।
नियंत्रण रेखा के करीब उड़ी में पार्टी कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए डॉ अब्दुल्ला ने यहाँ तक कह दिया कि पाकिस्तान इतना भी कमजोर नहीं है कि हिंदुस्तान उसके कब्जे से गुलाम कश्मीर छुड़ा सके । 70 साल हो गए, हिंदुस्तान उसे छुड़ा नहीं सका और आज ये लोग (केंद्र सरकार) कहते हैं कि वह हमारा है ।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत-पाक को वार्ता शुरू करनी चाहिए। फारूक ने कहा, आखिर कब तक ऐसे ही बेगुनाह लोगों का खून घाटी में बहता रहेगा और हम यह कहते रहेंगे कि पीओके हमारा हिस्सा है ।
वह (गुलाम कश्मीर) उनके (केंद्र सरकार) बाप की कोई जागीर नहीं है। वह अब पाकिस्तान है और यह जम्मू कश्मीर आज हिंदुस्तान है। आज ये लोग (केंद्र सरकार) कहते हैं कि वह हमारा हिस्सा है, इसलिए उसे लेकर रहेंगे।
हम भी कहते हैं और बार-बार कहते हैं कि भाई इसे पाकिस्तान से ले लो। हम भी देखें। पाकिस्तान ने कोई चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं। उनके पास भी एटम बम है। डॉ. फारूक ने कहा कि मेरी बात कुछ लोगों को बुरी लगी और गुलाम कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताने पर मेरे खिलाफ बिहार में एक मुस्लिम ने ही मामला दर्ज कराया है। खुदा उसकी हिफाजत करे, लेकिन उसे यहां के हालात का पता नहीं है। वह शायद हमारी स्थिति को नहीं जानता।
इससे पहले भी फारूक ने पीओके को लेकर पाक प्रेम दिखाया था और पीओके को सीधे-सीधे पाकिस्तान का हिस्सा बताया था और कहा था कि उसे पाकिस्तान से कोई छीन नहीं सकता।
फारूक अब्दुल्ला ने इससे पहले यह भी कहा था कि PoK पाकिस्तान के पास ही रहेगा।
पाकिस्तान इसमें बराबर का साझेदार है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक ने कहा था कि पाकिस्तान भी कश्मीर विवाद का हिस्सा है। लिहाजा इस मसले पर उससे भी बात करनी होगी। उन्होंने कहा था कि आधा कश्मीर पाकिस्तान के पास है और आधा भारत के पास। कश्मीर का जो हिस्सा (PoK) पाकिस्तान के पास है, वह उसके पास ही रहेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर का आधा हिस्सा भारत के पास है, जो भारत का ही रहेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि चाहे कितनी भी जंग क्यों न हो जाए, ये नहीं बदलने वाला है।
जानकारों का मानना है की डॉ फारूक अब्दुल्ला लगातार गलत बयानी कर अपनी राजनीती चमकाना चाहते हैं । अब चुनाव आने वाला है और फारूक राजनीतिक बोली बोलने में अभी से जुट गए हैं। उन्हें PoK को लेकर इस तरह के बयान देते समय शर्म आनी चाहिए थी। उनकी तीन पीढ़ियों ने जम्मू-कश्मीर में राज किया है। जम्मू-कश्मीर की एक-एक इंच जमीन पर भारत का अधिकार है।
जानकार मानते हैं की डॉ फारूक पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। आज की तारीख में घाटी की इस बदहाली के लिए अब्दुल्ला परिवार खासतौर पर जिम्मेदार है। उन्हें अपने बयान को लेकर जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ-साथ देश से माफी मांगनी चाहिए। ऐसे लोग कभी नहीं चाहते हैं कि घाटी में शांति स्थापित हो। क्योंकि जब-जब कश्मीर में शांति बहाली और भटके हुए नौजवानों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश हुई तब-तब फारूक जैसे राजनेता पाकिस्तान की भाषा बोलने लगते हैं।
भारत ने कश्मीरियों को धोखा दिया : डॉ फारूक अब्दुल्ला
तीन बार रियासत जम्मू कश्मीर की कुर्सी पे बैठ चुके डॉ फारूक अब्दुल्ला ने अपनी हद पार करते हुए कश्मीरी लोगों को उकसाने का भी काम किया । इसके साथ ही उन्होंने अलगाववादी नेताओं पे निशाना साधते हुए यह भी कहा कि आज़ादी की बात करने वाले ये अलगाववादी गलत बयानी कर रहे हैं ।
एक और ट्वीट में उमर ने लिखा ” हां जिस समय फारूक के पूर्वज संघर्ष में लगे हुए थे यह आदमी चुनाव् लड़ रहा था और जनता पार्टी के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा था “।
Autonomy के मांग पे उन्होने कहा रियासत ने भारत में शामिल होने का फैसला किया लेकिन भारत ने कश्मीरी अवाम से धोखा किया और उनसे अच्छा सलूक नहीं किया । उस प्यार को नहीं समझा जिसमे हमने उनके साथ जाने का विकल्प चुना था । कश्मीर की मौजूदा स्थिति की ये ही वजह है । डॉ फारूक ने कहा इंटरनल ऑटोनोमी (Internal Autonomy) हमारा अधिकार है । केंद्र सरकार को इसे बहाल करना चाहिए तभी कश्मीर घटी में शांति लौटेगी ।
सईद अली शाह गिलानी ने डॉ फारूक को इतिहास का पाठ पढ़ने को कहा
डॉ फारूक अब्दुल्ला के बयान पर जब हुर्रियत कांफ्रेंस (गिलानी) के अध्यक्ष सईद अली शाह गिलानी ने तीखी टिप्पणी की तो भूतपूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी तिलमिला उठे और उन्होंने वापिस गिलानी पे निशाना साधते हुए अपने सोशल मीडिया पेज पे यह लिखा “क्या गिलानी पाक PM द्वारा हाल में दिए गए बयान कि आज़ाद कश्मीर के लिए कोई विकल्प नहीं है पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं” ।
ढोंग गिलानी की विशेषता है । एक और ट्वीट में उमर ने लिखा ” हां जिस समय फारूक के पूर्वज संघर्ष में लगे हुए थे यह आदमी चुनाव् लड़ रहा था और जनता पार्टी के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा था “।
गिलानी ने डॉ फारूक अब्दुल्ला के इस बयान पर टिप्पणी की थी जिसमें डॉ फारूक ने यह कहा था कि आजाद कश्मीर एक वास्तविकता नहीं है और ऑटोनोमी एकमात्र समाधान है । गिलानी ने डॉ फारूक की इतिहास के पन्नों को फिर से देखने को कहा था ।गिलानी ने यह भी कहा था कि डॉ फारूक लोगों की इच्छाओं और आकाँक्षाओं के खिलाफ बोल रहे हैं ।
क्यूँ एक दुसरे पे इल्जाम लगा रहे डॉ फारूक अब्दुल्ला और अलगाववादी नेता ?
कश्मीर मामलों के जानकार मानते हैं की डॉ फारूक अब्दुल्लाह जानबूझ कर ऐसी बयां बजी कर रहे ताकि चुनाव से पहले वो अपनी पार्टी के लिए एक मजबूत सियासी जमीन तयार कर सकें । इसी सोची समझी रणनीति के तेहत डॉ फारूक अब्दुल्ला आये दिन बवाल खड़ा करने वाले बयान दे रहे । वो अच्छी तरह जानते हैं उनके बयान देने से राजनीती गर्माएगी और आम कश्मीरी के बीच अपनी साख लुटा चुके अलगाववादी नेताओं के पीछे चलने वाले कश्मीरी उनको अपना समर्थन देंगे ।
डॉ फारूक के लम्बे समय तक राजनीतिक प्रतिद्वान्धी रहे भूतपूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद भी अलगाववादी नेताओं की राजनीती के खिलाफ नियंत्रित रेखा को इंटरनेशनल बॉर्डर में तब्दील कर देना चाहिए इसी सोच के पक्ष धर थे
जानकारों का ऐसा भी कहना है की जब से कश्मीर घाटी में केंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपने पैर पसारे हैं और अलगाववादी नेताओं के खिलाफ हिंसा भड़काने की साज़िश के तेहत उनके शिकंजा कसा है उनकी लोकप्रियता में बड़ी मात्र में कमी आयी है । इसी का फैयदा उठाने के लिए डॉ फारूक अब्दुल्ला, जिनके परिवार का अलगाववादी नेताओं के साथ कभी प्यार कभी मौहबत का रिश्ता रहा है, उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है । डॉ अब्दुल्ला ने एक लम्बे समय तक बीजेपी के साथ रहकर रियासत में साँझा सरकार चलायी है वो इस बात से भली भांति परिचित है की बीजेपी धरा 370 को हटाने के लिए कटिबद्ध है और अगर ऐसे सियासी हालात पैदा हो जाते हैं तो उस समय अपने आप को रियासत की सियासत में खड़ा रखने के लिए डॉ अब्दुल्ला अभी से अपना एजेंडा क्लियर कर रहे ।
POK पे लगातार बयानबाजी भी इसी कड़ी का हिस्सा है और इसीलिए ऑटोनोमी के बात छेड़ कर और अलगाववादी नेताओं को किनारे कर डॉ फारूक भविष्य के लिए अपना रास्ता चुन रहे हैं । कश्मीरी लोगों को आज़ादी के खोकले नारों से परहेज़ करने की बात कर रहे ।
डॉ फारूक के लम्बे समय तक राजनीतिक प्रतिद्वान्धी रहे भूतपूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद भी अलगाववादी नेताओं की राजनीती के खिलाफ नियंत्रित रेखा को इंटरनेशनल बॉर्डर में तब्दील कर देना चाहिए इसी सोच के पक्ष धर थे और हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच होने वाली बात चीत में इस मुद्दा को हमेशा जोर शोर से उठाने के लिए जोर देते थे । येही वजह है की अपनी साख बचाने के लिए अलगाववादी नेताओं से जो बन पा रहा है वो सब कर रहे और डॉ फारूक अब्दुल पे लगातार हमला बोल रहे ।
Note:
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