
क्या वह अपने संपत्तियों को बेच सकते हैं जबकि उन्हें आयकर विभाग को पैसे देने हैं?
हमने एनडीटीवी का जिक्र आखरी बार तब किया था जब एनडीटीवी के आयकर घोटाले का पर्दाफाश करनेवाले आयकर अधिकारी का तबादला किया गया था[1]। आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आयकर अधिकारी भूपेंद्रजीत कुमार, एनडीटीवी प्रवर्तकों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करनेवाले थे, यदि 31 मार्च 2018 से पहले एनडीटीवी ने देय राशि नहीं भरी तो। करों का भुगतान न करने के लिए आयकर विभाग एनडीटीवी की संपत्तियों को जप्त करने वाला था। आश्चर्य की बात यह है कि अब तक यह कारवाही हुई ही नहीं!!!
अब एनडीटीवी ने अपनी सहायक कंपनी, रेड पिक्सल्स वैंचर्स लिमिटेड (आरपीवीएल), के एक हिस्से ए. आर. चड्ढा एंड कंपनी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को बेचने का निर्णय लिया है। यह कंपनी उनके नयी दिल्ली ऑफिस की भूस्वामी है। स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल किये गये निवेदन में (चित्र 1 देखें), एनडीटीवी ने बताया कि उन्होंने आरपीवीएल कंपनी के 7.38% शेयर की बिक्री रू 59,824/- प्रति शेयर के हिसाब से, किराये के भुगतान के लिए, स्वीकृति दी है[2]। यह स्वीकृती कई एजेंसियों, जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग की करवाही के बावजूद दी गयी!

आयकर विभाग ने एनडीटीवी को संपत्ति बेचने से वर्जित किया है
16 जून, 2017 को आयकर विभाग ने एनडीटीवी (चित्र 2 देखें) को एक आदेश भेजा था जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कंपनी की किसी भी संपत्ति को आंकलन अधिकारी की अनुमति के बिना बेचने से वर्जित किया है।

इसके बावजूद एनडीटीवी अपनी संपत्तियों को बेच रहा है। हैरानी की बात यह है कि भूस्वामी किराये के बदले एक विवादित कंपनी के शेयर लेने को तैयार क्यों हैं?
ईडी की भी नज़र एनडीटीवी पर
दिल्ली हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश जस्टिस शकदेर के समक्ष हुई पिछली सुनवाई में, ईडी ने इस बात की पुष्टि की कि रॉय को बुलाया गया और उनके बयान पीएमएलऐ के अंतर्गत दर्ज किये गए। रिलायंस समूह के सदस्यों को भी पीएमएलऐ मामले में बुलावा दिया गया है। 8 फरवरी 2018 के उच्च न्यायालय के आदेश में यह बात साफतौर पर दर्ज है कि रिलायंस कंपनी के एक डायरेक्टर और आईसीआईसीआई बैंक के शाखा प्रबंधक को बुलावा भेजा गया, मैंने ईडी के वकील और ईडी के सहायक निदेशक को इस मामले की अपडेट रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। मतलब, जिन लोगों पर संदेह है, उन सब के बयान दर्ज किये जाये और कानूनी रूप से उचित कदम लिए जाये[3].।
पहली बार नहीं
यह पहली बार नहीं है जब एनडीटीव्ही द्वारा आयकर विभाग के निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। जून 2017 में, एनडीटीवी ने उनकी 4 ऑनलाइन कंपनियों को कोयला घोटाले के दोषी केजेएस समूह को बेचा था[4]। जून 23 को स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल किये गये निवेदन में, एनडीटीवी ने बताया कि उन्होंने एनडीटीवी लाइफस्टाइल, एनडीटीवी कन्वर्जेंस, एनडीटीवी वर्ल्डवाइड, एनडीटीवी एथनिक रिटेल लिमिटेड कंपनियों को नामेह हॉटेल्स एंड रिसॉर्टस प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया है। यह जानकारी मिली है कि ये कंपनियां जो केवल वेबसाइट चला रहे थे उन्हें चने के भाव में केवल 2 करोड़ रुपयों में बेचा गया है!
एनडीटीवी इतनी बेशर्मी से कैसे पेश आ रहा है? वर्तमान सरकार में वह किसका “हाथ” है जो उसे सारे एजेंसियों को दूर रखने एवँ न्यायालय से समय प्राप्त करने इत्यादि में मदद कर रहा है? पीगुरूज द्वारा भाजपा मंत्रियों के एनडीटीवी में शामिल होने को लेकर प्रश्न उठाने के बाद कुछ समय के लिये उनका वहाँ जाना बंद हो गया। क्या वे फिर वहाँ जाएंगे?
आयकर विभाग के जून 16, 2017 के पत्र (दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश जो उनकी वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है) की संपूर्ण प्रतिलिपि नीचे दी गई है।
NDTV Tax Letter June 16 2017 by Sree Iyer on Scribd
संदर्भ :
[1] Shocker! The IT Officer who exposed NDTV Tax frauds transferred – Mar 12, 2018, PGurus.com
[2] NDTV to sell part of subsidiary to landlord, to pay outstanding rent – May 1, 2018, OpIndia.com
[3] Are Roys the benami owners of NDTV? Is Reliance Industries in Control? Mar 12, 2018, PGurus.com
[4] Violating directions of Income Tax, NDTV sells 4 outfits to the Coal Scam accused KJS Group – Jun 24, 2017, PGurus.com
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