आयकर विभाग ने किया प्रणय रॉय की स्टॉक एक्सचेंज हेराफेरी और अवैध काले धन की झूठ का पर्दाफाश- भाग 2

राधिका और प्रणय रॉय द्वारा अर्जित की गई संपत्तियों की विस्तृत सूची

प्रणय रॉय ने लूट को कहाँ छुपाया_
प्रणय रॉय ने लूट को कहाँ छुपाया_

इस श्रृंखला के प्रथम भाग में बताया गया था कि आयकर विभाग ने कैसे प्रणय रॉय और उनकी पत्नी दोनों पर 30-30 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया था। यह समापन भाग है।

आयकर आयुक्त (अपीलीय) के 42 पेज के दो आदेश (दोनों रॉय दम्पत्ति के लिए अलग-अलग एक) एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय के कर चोरी के गंदे खेल का पर्दाफाश करते हैं। अप्रैल,2017 के आदेश से पता चलता है कि कैसे पति-पत्नी ने वर्ष 2010-11 में आयकर विभाग और एनडीटीवी के शेयरधारकों को अपनी वार्षिक आय कम बताकर मूर्ख बनाया था। 2013 में, आकलन अधिकारी ने प्रत्येक को 30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। आकलन अधिकारी के ऊपर संबंधित अपीलीय प्राधिकारी ने भी आकलन अधिकारी के निष्कर्षों की पुष्टि की है। अब दम्पत्ति ने आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) के समक्ष अपील की है।

एक अन्य दिलचस्प तथ्य जिसका आदेशों में खुलासा हुआ कि रॉय दम्पत्ति ने 15 नवंबर, 2009 को दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में संपत्ति खरीदी थी ( नीचे दिए गए आयकर विभाग के प्रणय रॉय से सम्बन्धित दस्तावेजों में क्रमांक 26 दस्तावेज)

30 करोड़ रुपए का एक जुर्माना 2013 की तत्कालीन राजग सरकार के समय में लगाया गया था। तब क्यों प्रणय रॉय चुप्पी साधे हुए थे? तब आक्रोश क्यों नहीं था और इसे गुप्त रखा गया था? आयकर विभाग ने प्रणय और उनकी पत्नी को 2011 के बाद वास्तविक आय छुपाने के लिए पकड़ा। पति और पत्नी ने अपनी वार्षिक आय (2010-11) क्रमश: 1.33 करोड़ रुपए और 90 लाख रुपए घोषित की परन्तु आयकर विभाग ने 2013 में पाया कि उन दोनों की वास्तविक आय क्रमशः 116 करोड़ और 115 करोड़ से अधिक थी। क्या कांग्रेस सरकार ने आयकर विभाग की इन विस्फोटक जांच निष्कर्षों का प्रयोग रॉय को अपने साथ गलबहियां करने को मजबूर करने के लिए किया? क्या यह नसीब का ही खेल था जो एनडीटीवी उस समय भाजपा के उभरते हुए प्रधानमंत्री पद के भावी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठी और मनगढ़ंत रिपोर्ट्स का लगातार प्रसारण कर रहा था?

और अब प्रणय रॉय और उनके कृपा पात्र रोना रो रहे हैं कि मोदी एनडीटीवी को चक्की में पीस रहे हैं और मीडिया पर फर्जी मामलों के साथ हमला कर रहे हैं। यह संभावना है कि कांग्रेस सरकार आयकर विभाग को
प्रणय रॉय द्वारा की गई जबरदस्त स्टॉक एक्सचेंज सम्बन्धित जोड़-तोड़ के मिले निष्कर्षों को हथियार बनाकर हाथ मिलाने पर मजबूर कर रही थी। इस रिपोर्ट के अंत में प्रकाशित आदेश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि 3 अगस्त 2009 को, प्रणय और राधिका ने एनडीटीवी के 58 लाख शेयरों का 4 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से संदिग्ध सौदा किया जबकि बाजार मूल्य प्रति शेयर 140 रुपये था। 9 मार्च, 2010 को उन्होंने फिर से यह धोखाधड़ी की। एनडीटीवी के 35 लाख शेयरों का कारोबार 4 रुपये के हिसाब से हुआ जबकि बाजार मूल्य 130 रुपये था। चाहे दुनिया का कोई भी दुसरा देश होता, इस स्टॉक हेराफेरी के लिए रॉय दम्पत्ति अब तक कम से कम 20 वर्ष के कारावास की सजा के साथ जेल में बंद होते।

यहां तक ​​कि अत्यंत रहस्यमय तरीके से, वित्त मंत्रालय के अधीन भारतीय प्रतिभूति एवम् विनियम बोर्ड(सेबी) ने आज तक इस धारदार धोखाधड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली को इस निष्क्रियता के लिए सेबी के अध्यक्ष को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए।

एक अन्य दिलचस्प तथ्य जिसका आदेशों में खुलासा हुआ कि रॉय दम्पत्ति ने 15 नवंबर, 2009 को दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में संपत्ति खरीदी थी ( नीचे दिए गए आयकर विभाग के प्रणय रॉय से सम्बन्धित दस्तावेजों में क्रमांक 26 दस्तावेज)। इस संपत्ति का पता है: ERF 5067, साइमन टाउन, केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका। इससे बस कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने 2008 में लिए गए 375 करोड़ रुपए के ऋण की आईसीआईसीआई बैंक से अवैध रूप से 48 करोड़ रुपए माफ करवाए। क्या उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक से मिले इस पक्ष का दक्षिण अफ्रीका में महलनुमा संपत्ति खरीदने में फायदा उठाया? इस बारे में केवल सीबीआई ही जवाब दे सकती है जिसने आईसीआईसीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी के संबंध में प्रथम जानकारी रिपोर्ट (एफआईआर) पंजीकृत की थी।

यह सीबीआई के लिए स्पष्ट सबूत हैं कि रॉय दम्पत्ति और आईसीआईसीआई बैंक के बीच मिलीभगत से आईसीआईसीआई बैंक को चुना लगाया गया जबकि रॉय दम्पत्ति के पास दक्षिण अफ्रीका में संपत्ति खरीदने के लिए पर्याप्त से अधिक संसाधन थे। कैसे और क्यों आईसीआईसीआई बैंक ने 48 करोड़ रुपए माफ किए जबकि 60 दिनों के अंदर ही दक्षिण अफ्रीका में घर खरीदा गया? क्या इन अपराध रूपी कारगुजारियों पर प्रवतन निदेशालय द्वारा शिकंजा नहीं कसा जाना चाहिए और क्या यह सीबीआई के लिए ठोस सबूत नहीं हैं?

हम इस लेख के अंत में आयकर आयुक्त (अपीलीय) के दो आदेशों का प्रकाशन कर रहें हैं ताकि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में सीबीआई के छापों के विरोध में इकट्ठे हुए उन पत्रकारों और प्रख्यात व्यक्तियों को सद्बुद्धि आए जो सोचते हैं कि प्रणय रॉय “निर्दोष” है जिसने अपनी जिंदगी में काले धन को छुआ तक नहीं है।

सम्बन्धित विभिन्न हितधारकों के “करने के लिए” एक ग्राफिक सूची नीचे संलग्न है:

To do list for various stakeholders
Fig 1. To do list for various stakeholders

Here are the IT Findings for the Roys:

IT Findings Prannoy Roy by PGurus on Scribd

IT Findings Radhika Roy by PGurus on Scribd

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