
अपने आपराधिक दुष्कर्मों को छिपाने की कोशिश तथा मुक्त भाषण एवं मीडिया को उलझाने के लिए सरकार / सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को दोषी ठहराते हुए आप अपने बयानों में ग़ैर ज़िम्मेदाराना तरीक़े से झूठ बोलते रहें हैं। सीबीआई फर्स्ट इंफोर्मेशन रिपोर्ट (एफआईआर) के बाद आपके वक्तव्य में आपने कहा है कि “सीबीआई ने एनडीटीवी कार्यालयों और प्रमोटरों के आवास पर एक प्रारंभिक पूछताछ के बिना जांच की।”
रॉय एक प्रमोटर के रूप में की गई अपनी धाँधली की जाँच से ध्यान भटका कर यह पेश करने की कोशिश कर रहे है जैसे भाषण की स्वतंत्रता खतरे में है
डॉ रॉय, यह आप और आपका एनडीटीवी हैं जिसने शेयरधारकों और शेयर बाजारों (बीएसई और एनएसई) से जानकारी छिपाई है। क्या आप इस बात से इनकार कर सकते हैं कि मार्च 2017 में सीबीआई ने आपके समूह के सीईओ को स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया था?
ज्ञात हुआ है कि सीबीआई और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने शिकायतकर्ता संजय दत्त (क्वांटम सिक्योरिटीज) को अपने कार्यालयों में पिछले 12 महीनों में 15-20 बार अलग-अलग तिथियों में बुलाते हुए दस्तावेजों के साथ-साथ जांच की। इसके अलावा, जांचकर्ताओं ने आईसीआईसीआई बैंक से दस्तावेज और सबूत प्राप्त करके उनसे स्पष्टीकरण मांगा। इतना ही नहीं, उन्होंने विश्वाप्रधान कमर्सियल प्रा० लि० ( आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड पर फ़िलहाल नियंत्रण वाली कथित फर्जी इकाई ) से एक प्रस्तुतीकरण लिया और जवाब भी माँगे। अगस्त 2016 के बाद से, PGurus.com एनडीटीवी की विभिन्न अवैधताओं पर गहराई से लेख लिखता रहा है।
सीबीआई ने आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय के साथ इस प्रारंभिक जांच का समन्वय किया है ताकि पहले से शिकायत और अपराधी की सच्ची जांच की जा सके। यह उनके दृष्टिकोण की पूर्णतया: को दर्शाता है। इसके अलावा यह भी ज्ञात हुआ है कि उन्हें एनडीटीवी और इसके प्रमोटरों के स्वामित्व और अन्य फाइलिंग सम्बंधित दस्तावेज़ भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय से मिल चुके हैं।
पाठक इस बात की सराहना करेंगे कि यह सब 24 घंटों में नहीं हुआ है बल्कि उपरोक्त सब कुछ सीबीआई के अधिकारियों की कई महीने की कड़ी मेहनत का नतीजा है। यहाँ तक कि एक दिन पहले ही बीजेपी के प्रवक्ता संबित स्वराज के साथ चैनल द्वारा बुरा व्यवहार किया गया था जो इस बात का प्रमाण है कि एनडीटीवी पहले ही बौखलाया हुआ था।
कानून सभी दुष्टों को पकड़ता है, डॉ रॉय और अब आपका समय है।
इसलिए डॉ रॉय भाषण की स्वतंत्रता के नाम पर बच्चे की तरह रोना बंद करो और भारत के माननीय संविधान पर भरोसा कायम रखके कोर्ट में अपना केस लड़ो।
कानून सभी दुष्टों को पकड़ता है, डॉ रॉय और अब आपका समय है। प्रधान मंत्री मोदी जी के अधीनस्थ सीबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियां बधाई की पात्र हैं जो इस केस पर व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ी हैं।
प्रेस की स्वतंत्रता को ख़तरे में लिखने वाले विदेशी प्रकाशनों के लिए, आपकी सामग्री दिल्ली के ‘विदेशी संवाददाता क्लब’ की कॉकटेल पार्टियों में रची गई साज़िश पर आधारित लगती है। सीबीआई रेड का उद्देश्य एनडीटीवी नहीं बल्कि एनडीटीवी के प्रोमोटोर डॉ रॉय थे। कम से कम न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, बीबीसी और गार्जियन इतना तो कर ही सकते हैं:
1. “एनडीटीवी फ़्रॉड्स” ( श्रीं अय्यर द्वारा लिखित) किताब पढ़ें और एनडीटीवी के विभिन्न धोखाधड़ी पर प्रस्तुत तथ्यों को देखें।
2. सीबीआई द्वारा प्रस्तुत प्रेस वक्तव्य की एक प्रति पढ़ें, लेख के अंत में दी गई है।
3. ओप-एड के रूप में अपनी साइट में इस लेख को शब्दशः प्रकाशित करें।
I want to write an article on this website, is it possible?
Pl. send your piece to no-reply@pgurus.com. Someone from Editing will get in touch with you.