तमिलनाडु में अलगाववादी समूहों ने नीट विरोधी आंदोलन जारी किया

नीट विरोधी आंदोलन की शुरुआत उन्हीं अलगाववादी तत्वों ने की है जिन्होंने जल्लीकट्टू आंदोलन को उत्तेजित किया था

तमिलनाडु में नीट विरोधी आंदोलन
तमिलनाडु में नीट विरोधी आंदोलन

थिरुमावलवन, का यह मानना है कि बीजेपी और आरएसएस, नीट और जीएसटी के द्वारा भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक बहुलवाद को नष्ट करना चाहते हैं |

अलगाववादी समूह और राष्ट्र विरोधी तत्वों ने तमिलनाडु में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), जिसके माध्यम से छात्रों को मेडिकल तथा डेंटल कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिला मिलता है, के खिलाफ आंदोलन जारी किया | १७ वर्षीय दलित छात्रा, स. अनीता की आत्महत्या ने आंदोलनकारियों को राज्य सरकार व केंद्र सरकार को बदनाम करने का एक और मौका दिया | अनीता ने नीट में उच्च अंक प्राप्त नहीं करने की वजह से निराश होकर आत्महत्या कर ली थी | हाँलाकि अनीता ने तमिलनाडु बोर्ड की 12वीं परीक्षा में काफी अच्छे अंक प्राप्त किए थे, इसके पश्चात भी वह मेडिकल कॉलेजों में ऐडमिशन के लिए होने वाले प्रवेश परीक्षा (नीट) में अच्छे अंक लेने में विफल रही |

टीम PGurus ने तमिलनाडु में अलगाववादी समूहों व पेशेवर प्रदर्शनकारियों द्वारा होने वाले नीट विरोधी आंदोलन के प्रदर्शन के बारे में सूचना दे दी थी | साल २०१६-२०१७ के बीच में तमिलनाडु और कुछ अन्य राज्य, केन्द्र सरकार से सिफारिश कर के नीट से छूट पाने में सफल रहे | उन्होंने केंद्रीय सरकार से यह याचिका की थी कि उनके राज्य के छात्र नीट से अनुकूल नहीं थे | उनका तर्क यह था कि नीट, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम, जो सार्वजनिक स्कूलों में पढाया जाता है, पर आधारित थी | जबकि तमिलनाडु और कुछ और राज्य, अपने अपने राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम का पालन करते हैं जो बहुत ही निम्न स्तर का होता है | केंद्रीय सरकार ने भारतीय चिकित्सा् परिषद के निर्देश पर राज्यों से यह कहा था कि एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा होनी चाहिए |

शायद तमिलनाडु भारत का एकमात्र प्रदेश है जहां एक भी नवोदय विद्यालय नहीं है |

पर तमिल नाडू की सरकार का यह मानना था कि उनके राज्य के ग्रामीण छात्र, शहर और अन्य राज्यों में अपने समकक्षों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे क्यूंकि शहर के छात्र नीट में सफलता प्राप्त करने के लिए निजी कोचिंग सेंटरों में प्रशिक्षित किये जाते हैं | तमिल नाडू की सरकार का यह भी कहना था कि उनके राज्य के गरीब ग्रामीण छात्र ऐसे संभ्रांत कोचिंग कक्षाओं में भाग नहीं ले सकते, इसलिए वह हमेशा शेहेर के छात्रों के समक्ष प्रतिकूल परिस्तिथि में रहेंगे | उपर्युक्त तर्क को जब तक तमिलनाडु सरकार ने प्रयोग किया है परन्तु यहाँ पे यह जानना आवश्यक है कि तमिलनाडु की सरकार ने (चाहे वह AIADMK हो या DMK) राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम में सुधार लाने के लिए आज तक कोई प्रयास नहीं किया है |

इस वाद-विवाद के बीच में एक बहुत ही महत्वपुर्ण बात पर ध्यान ही नहीं गया है और इस पर चर्चा भी नहीं हुई कि द्रविड़ के राज्य वादियों ने राज्य के ग्रामीण छात्रों को शिक्षा में गुणवत्ता प्राप्त करने का मौका नहीं दिया | शायद तमिलनाडु भारत का एकमात्र प्रदेश है जहां एक भी नवोदय विद्यालय नहीं है | १९८५ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पूरे देश में गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए नवोदय विद्यालय की स्थापना की थी |

भारत में लगभग ६०० नवोदय विद्यालय हैं (तमिल नाडू को छोड़कर) | देश के प्रत्येक जिले में एक नवोदय विद्यालय है जिसमे कि ७५ प्रतिशत सीटें ग्रामीण छात्रों के लिए आरक्षित हैं | छठी कक्षा में प्रवेश हेतु छात्रों का चयन एक लिखित परीक्षा के आधार पर होता है | ६ से ८ कक्षा में शिक्षा का माध्यम क्षेत्रीय भाषा है | कक्षा ९ और १० में शिक्षा का माध्यम क्षेत्रीय भाषा और अंग्रेजी दोनों हैं | परन्तु ११ और १२ कक्षा में अंग्रेजी अनिवार्य है | हालांकि संघ के सभी राज्यों (जिसमे लाल’गढ़ केरल भी शामिल है) ने नवोदय विद्यालय के विचार को स्वीकृति दी, वहीँ तमिलनाडु को यह प्रगतिशील मिशन को मंजूरी नहीं दी | इसका कारण ? एक याचिका की सुनवाई के दौरान जब उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से यह प्रश्न किया कि तमिलनाडु राज्य में नवोदय विद्यालय की एक भी शाखा क्यों नहीं है, उस दौरान, सरकार के वकील ने कहा, ” केंद्रीय सरकार, नवोदय विद्यालय द्वारा, तमिलनाडु में हिंदी और संस्कृत लागू करना चाहती है | तमिलनाडु में ये दोनों भाषा कभी लागु नहीं हो सकता ” | इसका मतलब यह है कि तमिलनाडु में हिंदी और संस्कृत पर अघोषित प्रतिबंध है | इसके अलावा, तमिलनाडु के निजी स्कूलों के प्रबंधन यह नहीं चाहते हैं कि उनके राज्य में नवोदय विद्यालय आए क्यूंकि उनके आने से वे अभागे परिवार का शोषण नहीं कर पाएँगे |

अगर तमिलनाडु में नवोदय विद्यालय होते तो, अनीता, जिसने नीट में उच्च अंक प्राप्त नहीं करने की वजह से आत्महत्या कर ली थी, यह चरम कदम कभी नहीं उठाती | नवोदय विद्यालय सीबीएसई पाठ्यक्रम के अनुसार से ही चलता है, और इसलिए, इस पाठ्यक्रम से निकलने वाले छात्र नीट को बिना निजी कोचिंग केंद्रों की सहायता से पास करने में सक्षम होते है | इसलिए यह निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि द्रविड़ पार्टी के नेतृत्व सरकारों के विफल परिणामों की वजह से अनीता ने आत्महत्या की |

मेडिकल कॉलेज में नीट द्वारा प्रवेश किये जाने के कारण निजी स्वयं-वित्तपोषण कॉलेजों को सबसे अत्यधिक नुक्सान होगा

एक दिलचस्प बात यह भी है कि नीट को चुनौती देने वाले और कोई नहीं बल्कि निजी स्कूलों और पेशेवर कॉलेजों के प्रबंधक ही हैं | गजेंद्र बाबू, जो एक इसाई कट्टरपंथी और एक स्वघोषित शिक्षाविद हैं, ने नीट के खिलाफ आंदोलन को वित्तपोषण करने में प्रमुख हैं | मेडिकल कॉलेज में नीट द्वारा प्रवेश किये जाने के कारण निजी स्वयं-वित्तपोषण कॉलेजों को सबसे अत्यधिक नुक्सान होगा | इस कारणवश वे मेडिकल की प्रत्येक सीट १.८८ करोड़ रुपए में नहीं बेच पाएँगे । नीट के ना होने की वजह से वे एमबीबीएस की सीट प्रीमियम दरों पे बेच सकते हैं | इस अवस्था में केवल अमीर घरों के छात्र ही मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ले पाएँगे ।

पिछले कुछ दिनों में हमने यह देखा कि कैसे नाम तमिलेरे काची, May 17 Movement, Viduthalai Chiruthai Katchi जैसे अलगाववादी तत्वों, और द्रविड़ पार्टी ने, डीएमके के सक्रिय समर्थन के साथ, सामान्य जीवन में ठहराव ला दिया है | इस प्रकरण में उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी एक विल्लैन के रूप में चित्रित किया । यही नहीं उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय के लिए मोदी को ज़िम्मेवार ठहराया था |

पाठकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि अनीता कोई साधारण दलित लड़की नहीं थी | उसके चरों भाई व्याूवसायिक रूप से योग्य हैं | उसके बड़े भाई ने एमबीए किया था और अब यूपीएससी में शीर्ष नौकरी के लिए कॉल पत्र की प्रतीक्षा कर रहा है | दूसरा भाई, स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के बाद अब एक बैंकर है | तीसरे और चौथे भाई अभी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र हैं और सिविल तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम कर रहे हैं |

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव, सीताराम येचुरी, का यह विचार है कि हिंदी का मतलब हिंदुत्व होता है |

द्रविड़ पार्टी और मार्क्सवादियों ने नीट के खिलाफ एक बहुत ही विचित्र स्पष्टीकरण दिया है | थिरुमावलवन, जो विरोधी दल के नेता हैं, का यह मानना है कि बीजेपी और आरएसएस, नीट और जीएसटी के द्वारा भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक बहुलवाद को नष्ट करना चाहते हैं | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव, सीताराम येचुरी, का यह विचार है कि हिंदी का मतलब हिंदुत्व होता है |

एक तरफ निजी व्यावसायिक महाविद्यालय के प्रबंधकों ने और राज्य बोर्ड के छात्रों ने नीट के खिलाफ अपना रुख बहस करने के लिए देश के वरिष्ट वकीलों का सहारा लिया, वहीँ दूसरी तरफ, कुछ छात्रों और उनके माता-पिता, जो यह चाहते हैं कि नीट अकेले ही योग्यता का अकेला माध्यम हो, ने पी चिदंबरम की पत्नी, नलिनी चिदंबरम, को सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने को चुना है | नलिनी एक बहुत ही सम्मानित वकील है | दिलचस्प बात तो यह है कि तमिलनाडु में कांग्रेस, जो डीएमके की स्थानीय किताबों में रहने के लिए नीट के खिलाफ है, नलिनी द्वारा नीट समर्थकों को सहयोग देने के निर्णय पर पार्टी ने चुप्पी साध रखी है |

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