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एक बार चम्बल में कुछ डकैतों ने कवि संमेलन करवया….जब कवि संमेलन खत्म हुआ तो डकैतों ने कवियों को खूब धन और जवारत दिए…..जैसे ही कवि डकैतों की सरहद से बाहर हुए वैसे ही डकैतों ने उनको लूट लिया और जो उनको मिला वो तो लूटा ही उनके कपड़े और घड़ी भी लूट ली……..
जब कवि डकैतों के पास पोहचे तो उन्होंने पूछा जब लूटना ही था तो दिया क्यो………
डकैत बोले पैसे देना हमारा फर्ज था और लूटना हमारा profession…….
इसका कांग्रेस के घोषणा पत्र से कोई लेना देना नही है………..