सत्य जो भी हो, यदि कभी उसकी पुष्टि हुई तो, एक बात तो साफ है कि यह मुद्दा मुस्लिम बहुमतीय कश्मीर और हिंदू बहुमतीय जम्मू के बीच एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।
जम्मू के कठुआ तालुके के रसाना गाँव में हुए 8 वर्षीय लड़की की हत्याकांड, जो अब तक एक रहस्यमयता में लिप्त थी, से जुड़े झूठे एवं भड़कानेवाले किस्से खुलकर सामने आने लगे हैं।
महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के दो मंत्रियों को इस्तीफा देने को मजबूर किया क्योंकि उन्होंने कठुआ निवासियों के रसाना हत्याकांड में सीबीएई जांच के मांग का समर्थन किया।
उस बालिका के मृत शरीर जनवरी 17 मिलने के बाद, एक 9 वर्षीय बालक, जो सांबा के बारी ब्राह्मणा से गायब हुआ था, गायब होने के तीन दिन बाद मृत पाया गया। मार्च 12 को कातळ बट्टाल, जम्मू के मदरसे में एक 7 वर्षीय बालिका का बलात्कार किया गया। मौलवी शाहनवाज, जो बंगाल के मूल निवासी है, को गिरफ्तार किया गया है। यह 2018 में नाबालिक बच्चों पे अत्याचार की तीसरी घटना थी। परंतु बाकी के दो मामलों ने कठुआ हत्याकांड जैसे ध्यान आकर्षित नहीं किया[1]।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, जिन्होंने भाजपा के दो मंत्रियों को इस्तीफा देने को मजबूर किया क्योंकि उन्होंने कठुआ निवासियों के रसाना हत्याकांड में सीबीएई जांच के मांग का समर्थन किया। महबूबा मुफ्ती ने भाजपा केे गटबंधन में बने रहने का फायदा उठाकर केंद्र सरकार से छूट की मांग की। उन्होंने घाटी के युवाओं में बढ़ रहे गुस्से और असहमति का झांसा देकर यह रियायतें प्राप्त कीं।
15 अप्रैल की मुलाकात में भाजपा के नेताओं ने मुख्यमंत्री से उनकी सरकार के द्वारा पुलिस को दिए गए आदेश को वापिस लेने की मांग की। इस आदेश में पुलिस को अस्थिरवासियों द्वारा की गई अतिक्रमण हटाने की मुहिम, जनजातीय मामला प्रकोष्ठ के अनुमति, को नज़रअंदाज़ करने को कहा गया है। इसे जम्मू के जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास माना जा रहा है! भले ही भाजपा ने अपने मंत्रियों को इस्तीफा देकर कैबिनेट फेरबदल का रास्ता साफ करने को कहा है, परंतु बाकरवालों को जम्मू के जंगली इलाकों में बसने की क्रिया को लेकर विवाद हो सकता है[2]।
विडंबना यह है कि कश्मीर के (ना कि जम्मू) अपराध शाखा के घटनाओं के संस्करण, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की उपस्थिति में दिए गए भाषण, के तुरंत बाद उधड़ने लगे! वे श्री माता वैष्णोदेवी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाषण दे रही थीं। इसके दौरान उन्होंने बड़े ही कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि “यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि जिस शहर में देवी दुर्गा के रूप में बालिकाओं को पूजा जाता है वहाँ एक बच्ची के साथ इतना घिनौना कार्य किया गया और वो भी मंदिर के भीतर जहाँ बालिकाओं को माता का साक्षात अवतार माना जाता है”।
यह एक बहुत ही गैर जिम्मेदार बयान है। पहले, यह एक पूरे समुदाय के ऊपर उंगली उठाता है वो ही एक ऐसे जुल्म के लिए जो पूरे देश की समस्या है। दूसरा, यह रसाना के देवी स्थान को कांड की जगह के रूप में स्थापित करता है जब कि यह बिल्कुल बेबुनियाद है। क्रोधित गाँव वासियों ने देवी स्थान के विडियो बनाए है जिसमें यह स्पष्ट होता है कि ना वहाँ कोई बेसमेंट है और वहाँ की खिड़कियाँ भी खुली हैं जिनमें जाली लगी है और इस वजह से अंदर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। अंतत, कोई भी व्यक्ति इतना तो जानता है कि हिन्दू अपने देवताओं के समक्ष यौन-क्रिया तक नहीं करते, बलात्कार की बात तो बहुत दूर की है।
स्थानीय रिपोर्ट के हिसाब से शरीर ऐसे स्थान पर पाया गया जहाँ ढूंढें जाने पर आसानी से मिल सके और शायद उसी दिन फेंका गया था नहीं तो पहले ही मिल जाता।
जांच टीम को तीन बार बदला जा चुका है परंतु राज्य द्वारा एक ऐसा केस नहीं दर्ज हो पाया जिसे न्यायालय में खारिज किया जाएगा। तीसरी जांच टीम के मुताबिक उन्हें कांड की जगह से केवल पीड़ित के बाल मिले हैं पर उस स्थान पर कोई खून नहीं मिला जो पीड़ित की आयु को ध्यान में रखते हुए नामुमकिन है। वीर्य के अंश (एक से अधिक होने चाहिए) तथा खून की जांच (यदि सच में बेहोश किया गया था) जैसे मामलों को टाला गया है, इनका जिक्र चार्जशीट में तो नहीं है पर एक बेहोश करनेवाली दवाई का जिक्र हुआ है। यदि ये बेहद जरूरी सबूत लुप्त हैं तो यह पुलिस की तरफ से बहुत ही लापरवाही की ओर संकेत करते हैं। क्योंकि कोई बच्ची जो 7 दिन तक लापता हो और जिसका मृत शरीर 7 दिन बाद मिले उस पर जरूर अत्याचार हुआ होगा।
वह बच्ची 10 जनवरी को गायब हुई, इस दौरान देवी स्थान पर लोहड़ी और मकर संक्रांति मनायी गयी, इतनी छोटी जगह में बच्ची को छिपाना नामुमकिन है। शुरुआती उलझन के हटने के बाद, यह स्पष्ट होता है कि मृत शरीर जंगल में पाया गया, जो मुख्य आरोपी संजी राम के घर और देवी स्थान के मध्य में स्थित है, पगडंडी के नज़दीक झाड़ियों में! स्थानीय रिपोर्ट के हिसाब से शरीर ऐसे स्थान पर पाया गया जहाँ ढूंढें जाने पर आसानी से मिल सके और शायद उसी दिन फेंका गया था नहीं तो पहले ही मिल जाता।
आश्चर्यजनक बात यह है कि मीडिया ने केवल सरसरी रूप से एक नाबालिक लड़के के बारे में बताया है जिसने कठुआ सत्र न्यायालय में जमानत की अपील दर्ज की थी। इस 15 वर्षीय बालक को बच्ची की मृत शरीर मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया और राजस्व एवं संसदीय मामलों के मंत्री अब्दुल रहमान वीरी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में यह घोषणा की कि आरोपी ने अपना जुल्म कबूल कर लिया[3]।
वीरी ने यह दावा किया कि एसडीपीओ छड़वाल की नेतृत्व में बनायी गयी स्पेशल जांच टीम को जांच में पता चला कि आरोपी ने बालिका का अपहरण कर एक गौशाला में रखा था, जहाँ उसने बलात्कार करने की कोशिश की और जब बालिका ने विरोध किया तो उसे गला घोंटकर हत्या कर दी। इस गौशाला वाली बात को नकारा जा चुका है।
हाल ही के दिनों में उस लड़के के साथ उसके मामा 62 वर्षीय संजी राम, उनके पुत्र विशाल जंगोत्र, मित्र परवेश कुमार ऊर्फ मन्नू, स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा तथा असिस्टेंट पुलिस सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कॉन्स्टेबल टिकारद को भी जांच में शामिल किया गया।
पूर्व राजस्व अधिकारी संजी राम जम्मू के निवासियों से अपनी संपत्ति बेचने एवं घरों को छोड़ने से रोकने का प्रयास कर रहा था।
जब विशाल जंगोत्र ने बताया कि वह उस समय कटौली के के. के. जैन विद्यालय में बीएससी की परीक्षा दे रहे था तब मीडिया ने कहा कि उनके बदले कोई और व्यक्ति परीक्षा लिख रहा था। परंतु मेरठ पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि विशाल जंगोत्र, जो मीरनपुर के आकांक्षा कॉलेज का छात्र है, कटौली, यू. पी. में परीक्षा लिख रहा था। कठुआ गाँव का कोई लड़का, यू.पी के विश्वविद्यालय के अध्यक्ष को प्रभावित कर सकता है यह बात हजम नहीं होती[4]।
सत्य जो भी हो, यदि कभी उसकी पुष्टि हुई तो, एक बात तो साफ है कि यह मुद्दा मुस्लिम बहुमतीय कश्मीर और हिंदू बहुमतीय जम्मू के बीच एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। यह इतना बढ़ चुका है कि कश्मीर जम्मू पर अपना हुकूम जमाने के लिए जम्मू की जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिश कर रहा है। भाजपा को यह बात ध्यान में रखते हुए राज्य से संबंधित अपनी आगे की नीति बनानी होगी, क्योंकि महबूबा मुफ्ती को जनसमुदाय का समर्थन नहीं है और इस गटबंधन से भाजपा को कोई लाभ नहीं होगा।
सबसे अहम मुद्दा है रोहिंग्या मुसलमानों का कश्मीर के बदले जम्मू में उपनिवेशण, जम्मू में बढ़ते गौ चोरी के किस्से, और फरवरी 14, 2018 का परिपत्र जो मुख्यमंत्री के अध्यक्षता में जनजातीय मामलों के विभाग द्वारा जारी किया गया है, इस परिपत्र के माध्यम से (मुस्लिम) गुज्जर व बाकरवाल द्वारा किए गए अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे मुहिम को बन्द करने का आदेश है।
यहाँ बता दें कि पूर्व राजस्व अधिकारी संजी राम जम्मू के निवासियों से अपनी संपत्ति बेचने एवं घरों को छोड़ने से रोकने का प्रयास कर रहा था। चार्जशीट में बताया गया जनसांख्यिकीय विभाजन एक मात्र ऐसा मुद्दा है जो सार्वजनिक जांच के लिए उचित है।
सन्दर्भ:
[1] Cleric held for raping 7-year-old at madrasa – Mar 14, 2018, The Tribune
[2] PDP-BJP alliance to stay, but Mehbooba warns of chaos if Valley’s youth not heard – Apr 15, 2018, The Indian Express
[3] 15-year-old boy accused of murdering Kathua girl arrested: Govt – Jan 19, 2018, Greater Kashmir
[4] Proxy candidate wrote exam for Kathua accused? Apr 14, 2018, The Hindu
Note:
1. Text in Blue points to additional data on the topic.
2. The views expressed here are those of the author and do not necessarily represent or reflect the views of PGurus.
- Plagiarism with Pride - November 10, 2018
- “Hindu-ness is the essence of India” – RSS Sarsanghachalak - September 20, 2018
- Lacunas persist in Kathua story - May 5, 2018
Good ,now I can forward it to my Hindi speaking brothers !!