अंग्रेजी संस्करण को एडवोकेट रविन्द्र कौशिक ने अनुवादित किया है।
एनडीटीवी अपने आप में धूर्तता का श्रेष्ठतम उदाहरण है। एक लक्ष्य चुनना और फिर बहुत बुरे तरीके से उसके पीछे पड़ जाना। असुविधाजनक तथ्यों को निरन्तर नजंदाज करना। एकमात्र उद्देश्य किसी भी तरह से प्रभाव उत्पन्न करना। इस बार एनडीटीवी के शिकार बने योगी आदित्यनाथ।ताज़ा मामला है उत्तर प्रदेश में हुई पुलिस मुठभेड़ों के खिलाफ संदिग्ध कहानियों की एक श्रृंखला का प्रसारण और वो भी जब राज्य में निवेशक सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इन संदिग्ध कहानियों की श्रृंखला के रचयिता हैं श्रीनिवासन जैन।
आखिर एनडीटीवी ने यह षडयंत्र क्यों रचा? क्योंकि वे राज्य में निवेश करने के लिए आतुर निवेशकों के दिलो-दिमाग में भृम पैदा करने चाहते हैं। लेकिन सोशल मीडिया के होते हुए ऐसे षडयंत्र रूपी प्रहार नेस्तनाबूत हो जाएंगे।
आपको याद होगा जैन ने ऐसी ही मिथ्य कहानियाँ तब भी रची थी जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तथ्य
यह है कि अब एनडीटीवी ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अपराधियों के खिलाफ मुठभेड रूपी काबिलेतारीफ मुहिम को
“दुरूपयोग” का तमगा देते हुए योगी को अपना अगला निशाना चुन लिया है।
क्या एनडीटीवी की इस बोखलाहट का कारण यह है कि उनको योगी में भविष्य का प्रधानमंत्री दिखाई देता है? आपको
याद होगा कि इशरत जहां मुठभेड़ के दौरान भी किस तरह तत्थों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था। इन्ही श्रीनिवासन जैन ने उस समय अमित शाह और नरेंद्र मोदी पर “काली दाढ़ी और सफेद दाढ़ी” का कटाक्ष करते हुए मज़ाक उड़ाया था।
श्री जैन, क्या आपको स्वयं पर शर्म नही आती? आपकी उन मनगढंत कहानियों का क्या हुआ जो आप प्रणय रॉय और बलात्कार के आरोपी तरुण तेजपाल के सहयोग से रच रहे थे? बाबा रामदेव ने भी आपको झूठी कहानियां बनाते हुए पकड़ा था। अगर आप नहीं जानते हैं तो समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति यह थी….
उत्तर प्रदेश अपराधियों का गढ़ था जहां पर सख्त निर्देश थे कि एक “निश्चित धर्म” और एक “निश्चित समुदाय” के लोगों को हाथ तक ना लगाया जाए चाहे उनके द्वारा किया गया अपराध कितना भी भयानक और वहशियाना हो। अब योगी आदित्यनाथ राज्य की कानून व्यवस्था को सामान्य बनाने का काबिलेतारीफ कार्य कर रहे हैं। योगी के रवैये ने अपराधियों को सख्त संदेश दिया है और उनमें से ज्यादातर दुम दबाकर या तो आत्मसमर्पण कर रहे हैं या फिर दोषी ठहराए जा रहे हैं।
आखिर एनडीटीवी ने यह षडयंत्र क्यों रचा? क्योंकि उनका उद्देश्य राज्य में निवेश करने के लिए आतुर निवेशकों के दिलो-दिमाग में भृम पैदा करना है। लेकिन सोशल मीडिया के होते हुए ऐसे षडयंत्र रूपी प्रहार नेस्तनाबूत हो जाएंगे। आखिरकार एनडीटीवी पत्रकारिता और मानवाधिकार की आड़ में ऐसे षडयंत्र क्यों रच रहा है? सिर्फ इसलिए कि उत्तर प्रदेश सरकार से विज्ञापनों के रूप में उनकी अच्छी खासी कमाई नही हो रही है?
मीडिया रूपी चोला ओढ़े हुए एनडीटीवी एक घिनौना पाप है। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनडीटीवी की आयकर विभाग के 430 करोड़ रूपए के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। [1] इस नोटिस के साथ ही भृष्ट चैनल की आयकर विभाग की देनदारी 860 करोड़ रुपए तक पहुंच गईं हैं। इसके अलावा आयकर विभाग ने चैनल के मालिकों और काले धन को सफेद करने में माहिर प्रणय रॉय और राधिका रॉय को 30-30 करोड़ का जुर्माना रूपी तमाचा जड़ा है।
अब समय आ गया है कि सीबीआई, ईडी, और सेबी बड़े पैमाने पर एनडीटीवी के प्रणय रॉय समेत प्रोमोटरों द्वारा की गई अवैधताओं जैसे मनी-लॉन्ड्रिंग, बैंकों के साथ धोखाधड़ी और स्टॉक एक्सचेंज में हेराफेरी पर जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई करे।
संदर्भ:
[1] HC: Redirects NDTV to CIT(A) on Rs.436 penalty challenge; Accepts Revenue’s alternate remedy plea – Feb 21, 2018, Taxsutra.com
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