इन न्यायाधीशों को सलाम!

एक जीवंत पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में, केवल लागत ही होगी और जाति नहीं होगी

इन न्यायाधीशों को सलाम!
इन न्यायाधीशों को सलाम!

न्यायमूर्ति गोयल और न्यायमूर्ति ललित द्वारा सुदृढ़ता और सूझबूझ दिखाने के लिए मेरी सलामी, जो कि एक दुर्लभ और सराहनीय कदम है

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आदर्श गोयल और न्यायमूर्ति यू यू ललित को सलाम है, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम पर अपने फैसले पर अडिग रहने के लिए!! उन्होंने सही तौर पर कांग्रेस, वामपंथियों और पेशेवर छद्मों द्वारा लगाए गए कानून को कमजोर करने के लिए प्रयास के आरोपों से इनकार किया है। इस अधिनियम के अन्तर्गत निर्दोषों को दण्डात्मक कार्यवाही से बचाने का इरादा था उनका।

विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों के विपरीत, जिसने 2 अप्रैल को दलित हिंसा को ठुकरा दिया था, वही तथ्य यह है कि मोदी सरकार ने इस कानून के तहत सजा की बेहतर दर सुनिश्चित करने के लिए 2016 में अधिनियम में संशोधन किया था !! लेकिन तब से सरकार के जनसंपर्क इतने निराशाजनक है कि सरकार के खिलाफ लगाये गए सारे बेबुनियाद आरोप भी आसानी से बाजार में चल जाते हैं। भाजपा अपने स्वयं के दलित सांसदों को समझा नहीं सकी, जो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर काफी गुमराह थे। यहां तक कि यू.पी. में मायावती सरकार भी अधिनियम के दुरुपयोग को रोकने के लिए कदम उठाए थे।

संपूर्ण विवाद बड़ा मुद्दा है, जबकि जाति के अत्याचार जैसे सामाजिक मुद्दे को अकेले कानून के जरिए रोका जा सकता है। आर्थिक विकास को गति देने की आवश्यकता है जो अन्य सभी समाज के साथ एक व्यक्ति को विकसित होने के लिए वंचितों के लिए अवसर प्रदान कर सकता है। राष्ट्रीय दृढ़ता और सशक्तिकरण के आकार को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति गोयल और न्यायमूर्ति ललित द्वारा सुदृढ़ता और सूझबूझ दिखाने के लिए मेरी सलामी, जो कि एक दुर्लभ और सराहनीय कदम है आज के दौर में

आर्थिक ठहराव और भ्रष्टाचार के उच्च स्तर के एक पारिस्थितिकी तंत्र में, जैसा कि वर्तमान में देखा जा रहा है, यह अर्ध-सामंती निर्माणों के लिए स्वाभाविक है जैसे कि जाति को मोर्चे पर आगे किया जाना।

पूंजीवाद जातिवाद का इलाज है। एक जीवंत पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में, केवल लागत ही होगी और जाति नहीं होगी। सभी के लिए पर्याप्त होगा; इतनी अधिक है कि आरक्षण और जाति कोटा निरर्थक हो जाएंगे और अत्याचार अतीत की चीजें होंगे। राजस्थान में केवल कोटा शहर का नाम ‘कोटा’ होगा। पैसा एक महान स्तरर है। हमारी अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता को खोलने की जरूरत है, हमारे व्यापार समुदाय को चोर नहीं बल्कि भागीदार के रूप में इस्तेमाल करने की जरूरत है। अनुसूचित जाति और जनजाति उम्मीदवारों को अर्थव्यवस्था में भागीदार बनाने के लिए मुफ्त अच्छी शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि वे आत्मसम्मान के साथ बराबरी का दर्जा प्राप्त कर सकें। वे सिर्फ एक नीच नीति के लाभार्थियों के रूप में न रहें।

भले ही समय तेजी से चल रहा है, प्रधानमंत्री मोदी को तेजी से शिथिल पड़ी अर्थव्यवस्था को उत्तेजित करने की जरूरत है। यह करने का समय अभी है।

तब तक, न्यायमूर्ति गोयल और न्यायमूर्ति ललित द्वारा सुदृढ़ता और सूझबूझ दिखाने के लिए मेरी सलामी, जो कि एक दुर्लभ और सराहनीय कदम है आज के दौर में।

Advocate and Senior Journalist who was formerly City Editor & Chief of Bureau of The Times of India, Mumbai. He has also served in the MumbaiMunicipal Council.
S Balakrishnan
Latest posts by S Balakrishnan (see all)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here