
जहाँ एक तरफ़ अमरनाथ यात्रियों पे हुए कायराना आतंकवादी हमले से जहाँ एक तरफ़ देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है वहीं दूसरी तरफ़ सुरक्षा में हुई इस चूक पर एक बहस छेड़ दी है। भारतीय सेना हर वर्ष होने वाली पवित्र अमरनाथ यात्रा को सफल बनाने के लिए अभेद्य रणनीति पर कार्य करती रही है।
कश्मीर, जहाँ सेना और कश्मीर पुलिस के साथ-साथ IB जैसी सुरक्षा एजेंसियां भी चप्पे चप्पे पे नज़र रखती हैं और आपस में महत्वपूर्ण सूचनाएँ साँझा करती हैं। सूचनायों के इस आदान-प्रदान पर निरंतर निगरानी NSA यानी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा की जाती है।
लेकिन चूक तो हुई है और इस चूक के लिए ज़िम्मेदार दोषियों को माफ़ नहीं किया जाना चाहिए। सूत्रों के हवाले से ज्ञात हुआ है कि सेना ने कोई क़ोताही नहीं बरती है और अपने कर्तव्य का पूर्ण रूप से पालन किया है। तो फिर कहाँ चूक हुई यही सवाल हर भारतीय के दिमाग़ में उठ रहा है।
कश्मीर, जहाँ सेना और कश्मीर पुलिस के साथ-साथ IB जैसी सुरक्षा एजेंसियां भी चप्पे चप्पे पे नज़र रखती हैं और आपस में महत्वपूर्ण सूचनाएँ साँझा करती हैं। सूचनायों के इस आदान-प्रदान पर निरंतर निगरानी NSA यानी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा की जाती है।
Pgurus.com को मिले एक पत्र के अनुसार 25 जुलाई को कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक ने अमरनाथ यात्रियों पर आतंकवादी हमले की आशंका जताई थी और जल्द से जल्द आवश्यक क़दम उठाए जाने की ज़रूरत बताई थी। लेकिन दुखद तथ्य यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस सूचना को पूरी तरह नज़रंदाज कर दिया। जबकि इस सूचना पर अमल करके कड़े क़दम उठाये जाने चाहिए थे।
अगर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने सही समय पर कश्मीर पुलिस की सूचना को गंभीरता से लेकर ब्लूप्रिंट तैयार किया होता तो आज देश अमरनाथ यात्रियों की नृशंस हत्या का शोक नहीं बल्कि आतंकवादियों की मौत का जश्न मना रहा होता।
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