अगस्त १४ और १५, १९४७, के बीच की रात में, जब जवाहरलाल नेहरु अपना प्रसिद्ध भाषण, ” पूरी दुनिया सो रहा था जबकि… ” बना रहे थे, तब एक ७८ साल का बूढ़ा आदमी, अपने दल के साथ, कोल्कता की गलियों में चला आ रहा था – वह मुसलमानों से विनती कर रहा था कि हिन्दुओं को ना मारो | ” मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकता | वह बूढ़ा आदमी अन्य कोई नहीं बल्कि भारत वर्ष के पिता, महात्मा गाँधी थे, जिन्होंने सत्याग्रह और उपवास जैसे अहिंसक माध्यम से शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आजादी की जंग का नेतृत्व किया | जब सारा देश उस आदमी, जिसने ब्रिटिश को काबू में कर लिया था, का ठिकाना जानने के लिए चिंतित था, उनके ख़याली शिष्यों ने उन्हें नीचा दीखा दिया – उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसे गाँधी बहुत ही तुच्छ मानते थे – वह भारत वर्ष के विभाजन के लिए सहमत हो गए, ” वेंकटराम कल्याणम, गाँधी के निजी सचिव ने कहा |
यह संयोग ही हो सकता है कि कल्याणम का जन्म अगस्त १५, १९२२ को हुआ | वह अपना जन्मदिन स्वतंत्रता दिवस के साथ बाँटते है | पर कल्याणम, जो इस साल ९५ साल के हो गए हैं, कभी अपना जन्मदिन नहीं मानते | ” बंगाल और कोल्कता में जो देखा उसके बाद जन्मदिन मनाने के लिए कुछ बचा ही नहीं है, ” कल्याणम ने कहा | आगे, कल्याणम ने कहा कि सामान्य धारणा यह है कि जिस दिन भारत वर्श को आज़ादी मिली, उस दिन महात्मा गाँधी बंगाल के एक अंततः प्रान्त, नओखाली, में थे | ” यह सही नहीं है | महात्मा गाँधी और उनका दल, जिसमे मैं भी शामिल था, अगस्त १६, १९४६, के दिन, जब कोल्कता में दंगे फसाद शुरू हुए, बंगाल के लिए निकल गए थे – ऐसा हमने मोहम्मद अली जिन्नाह के प्रत्यक्ष कार्रवाई दिन (Direct Action Day) का पालन करने हेतु किया | बहुमति मुस्लिम समुदाय ने हिन्दुओं का कूपर करके तबाही कार्यक्रम प्रारंभ किया, ऐसा कि पुलिस या सेना भी नियंत्रण नहीं कर पायी | उस समय के बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री, हुसेन शहीद सुहरावर्दी (वे बंगाल के प्रधानमंत्री के रूप में भी नामित थे) ने यह आदेश दिया था कि पूरे बंगाल को हिंदु मुक्त कर दिया जाए |
” इस प्रकार दंगिओं एक उम्माद पर चले गए और वे सभी हिंदुओं को, जिनपर वह हाथ रख पाए, मारते चले गए | किसी तरह महात्मा गाँधी के वाद-विवाद के बाद दंगो को नियंरण में किया गया, ” उसने कहा | कल्याणम के अनुसार १०,००० से अत्यधिक व्यक्ति मारे गए थे – और उनमें से अधिकांश हिंदु थे | ” जिन्ना और सुहरावर्दी दोनों ही इस्लामी कट्टरपंथी थे और वे यह चाहते थे की हिंदु मारे जाए | उन्होंने दंगों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया | इतिहास का यह भाग कभी नहीं लिखा जाएगा, पर वही अगर पीड़ित मुस्लमान होते, तो हमारे इतिहासकार और उदारवादियों ने अभी तक हजारों पुस्तकों का मंथन कर लिया होता, ” परेशान कल्याणम ने कहा |
अविच्छिन्नित…
- Subramanian Swamy approaches Supreme Court on Govt’s modification of 2G Scam Judgment to avoid auction of Satellite Spectrum - April 23, 2024
- Defence Minister Rajnath Singh visits Siachen. Reviews military preparedness - April 22, 2024
- Amit Shah’s shares in the Stock Market almost doubled in the past five years - April 21, 2024