सुप्रीम कोर्ट में अवांछित हलफनामा दायर करके, क्या पी चिदंबरम सत्य प्रतीत होने जैसा मायाजाल बुनने की कोशिश कर रहे हैं?
जैसे ही पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी चिदंबरम पर कानून का शिकंजा कसने वाला था वो बहुत ही हास्यास्पद तरीके से खुद ही मैदान में उतर गए हैं। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में स्वयं ही “अवांछित हलफनामा” दायर करके एयरसेल-मैक्सिस और आईएनएक्स मीडिया रिश्वत मामलों में खुद के निर्दोष होने का “दावा” किया है। अपने 11 पृष्ठ के स्व-संघान (Suo-Moto) हलफ़नामे में चिदंबरम ने बहुत ही चतुराई से सारा दोष वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों पर डालने की कोशिश की है और यह जताने की कोशिश की है कि उन्हें विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की संदिग्ध फाइलों के बारे में जानकारी नहीं थी और उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए।
हालांकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अब तक उनके बेटे कार्ति को लेकर विचाराधीन इस केस में हलफनामे पर कोई संज्ञान नही लिया है। चिदंबरम ने उस मामले में यह हलफनामा दायर किया है जिसमें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके बेटे कार्तिक की विदेशी यात्राओं पर रोक लगाने की अपील दायर की हुई है। उन्होंने बहुत ही चालाकी से यह हलफनामा 2जी बेंच के सामने विचाराधीन उस मामले में दायर नहीं किया जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी ने उनकी अवैधता की जानकारियां तथा एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में संदिग्ध विदेशी निवेश के अनुमोदन को मंजूरी के बाद उनके बेटे कार्ति की रिश्वतखोरी के विवरण पेश किए हुए हैं।
नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (एनडीए) सरकार पर अपने और अपने परिवार के खिलाफ प्रतिशोध की भावना का आरोप लगाते हुए चिदंबरम ने सारा दोष वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों पर डालने का प्रयास किया है। “जब से राजग सरकार सत्ता में आई है तब से केंद्र सरकार मेरे परिवार और मुख्य रूप से मेरे बेटे जो कि यहां प्रथम प्रतिवादी है, के खिलाफ राजनीति से प्रेरित प्रतिशोध की भावना से काम कर रही है” चिदंबरम सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग द्वारा उत्पन्न की गई “कठिनाइयों” पर आरोप लगाते हुए कहते हैं।
चिदंबरम के लिए अवांछित शपथ पत्र दाखिल करने जैसी चालें कोई नई बात नहीं हैं। कुछ महीने पहले मद्रास उच्च न्यायालय में भी उन्होंने इसी प्रकार की एक चाल चली थी जो कि न्यायाधीशों के सामने नाकामयाब रही। यहां चिदंबरम स्पष्ट रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनको दी गई वरिष्ठ एडवोकेट की पदवी का दुरुपयोग कर रहे हैं। अपने अवांछित हलफ़नामे में वे कई बार यह जिक्र करते हैं कि वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी हुई “वरिष्ठ एडवोकेट” पदवी-धारक हैं।
एयरसेल-मैक्सिस घोटाले और आईएनएक्स मीडिया रिश्वत के मामलों में संदिग्ध एफआईपीबी मंजूरी देने के लिए चिदंबरम वित्त मंत्रालय के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों जैसे अशोक झा, राकेश मोहन, डी सुब्बा राव, अशोक चावला और अरविंद मायाराम पर दोष डालने का प्रयास करते हैं। जैसे कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों में भय का माहौल बनाया जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे कि उन्हें बताया जा रहा है, “चिदंबरम के लिए काम करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है!”
एयरसेल-मैक्सिस सौदे की मंजूरी को सामान्य बताते हुए चिदंबरम इस बात को टाल गये कि सौदे से संबंधित फ़ाइल आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) को क्यों नहीं भेजी गई जो कि नियमों के अनुसार “अनिवार्य” है। उन्होंने अपने केस को सीबीआई के मारन भाइयों की रिहाई वाले केस से भी जोड़ने का प्रयास किया, जो कि अब दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है क्योंकि सीबीआई ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।
“मैं उपर्युक्त के संबंध में यह कह सकता हूं कि मैंने यह नहीं सोचा था कि एफआईपीबी द्वारा मेरे सामने रखी गई एफआईपीबी की सिफारिश के अनुमोदन करने का सामान्य कार्य सरकार के विभिन्न विभागों की प्रेरित जांच का विषय बन जायेगा, ” चिदंबरम एयरसेल-मैक्सिस घोटाले की संदिग्ध मंजूरी में बेगुनाह होने का ढोंग करते हुए कहते हैं।
पी चिदंबरम द्वारा दायर 11 पृष्ठों का हलफनामे नीचे संलग्न है:
- NIA confiscates Pak-harboured Khalistani terrorist Lakhbir Singh Rode’s key aide’s land in Moga - April 19, 2024
- Prime Minister Narendra Modi: A Gujju businessman who does not invest his precious time for a losing battle - April 13, 2024
- NIA arrests two accused Shazib and Taahaa in Bengaluru’s Rameshwaram Cafe blast case from Kolkata - April 12, 2024
cannot understand. English translation pls