सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने किया बढते बाल-विवाह को उजागर, पश्चिम बंगाल 40% के साथ सबसे ऊपर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने किया बढते बाल-विवाह को उजागर, पश्चिम बंगाल 40% के साथ सबसे ऊपर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने किया बढते बाल-विवाह को उजागर, पश्चिम बंगाल 40% के साथ सबसे ऊपर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने किया बढते बाल-विवाह को उजागर, पश्चिम बंगाल 40% के साथ सबसे ऊपर

जब पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में 5 विवाहों में से 2 बाल विवाह हों तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला कैसे लागू होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग पत्नी के साथ संभोग को बलात्कार माने जाने का ऐतिहासिक फैसला दिया ही था कि अगले ही दिन भारत में हो रहे बाल विवाहों से संबंधित बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस महत्वपूर्ण मामले में विचार की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल शर्मनाक रूप से पहले स्थान पर है जहां 40.0% से अधिक विवाहित लड़कियां नाबालिग हैं। ये चौंकाने वाला आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के हैं।

फैसले में यह भी उल्लेख है कि देश में वर्तमान में 2 करोड़ 30 लाख शादीशुदा लड़कियां नाबालिग हैं, हालांकि 18 वर्ष से कम आयु की लड़की की शादी अवैध है। लेकिन आपराधिक मुकदमें दायर नहीं किए गए क्योंकि कई समुदायों, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में 18 वर्ष की उम्र तक पहुंचने से पहले लड़कियों के विवाह कर दिए जाते हैं।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय, जिसने 11 अक्टूबर को नाबालिग पत्नी के साथ संभोग को बलात्कार माने जाने का ऐतिहासिक फैसला दिया, ने अपने आदेश में सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि अधिक आबादी वाले पूर्वी राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शादीशुदा नाबालिग लड़कियों की संख्या 40.7% से बढ़कर 47.0% हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह का न्यूनतम प्रतिशत पंजाब और केरल में 7.6% दर्ज किया गया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, शादीशुदा नाबालिग लड़कियों की सर्वाधिक संख्या के क्रमानुसार दूसरे और तीसरे स्थान पर बिहार और झारखंड क्रमश: 39.0 और 38.0% हैं।

यह रिपोर्ट न्यायमूर्ति श्री एम बी लोकुर और श्री दीपक गुप्ता की सुप्रीम कोर्ट पीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई थी, जिसने फैसला किया कि 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना भारतीय दंड संहिता के तहत 10 साल तक की कारावास के साथ एक अपराध है।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में जिन आंकड़ों पर प्रकाश डाला गया है, उनके अनुसार भारत की राष्ट्रीय राजधानी में 2015-16 में कुल 13.0% बाल-दुल्हनों की संख्या दर्ज की गई, जो 2005-06 में 22.7% से काफी घट गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में यह संख्या कर्मश: 35.4, 25.0 और 24.9% पाई गई है।

We are a team of focused individuals with expertise in at least one of the following fields viz. Journalism, Technology, Economics, Politics, Sports & Business. We are factual, accurate and unbiased.
Team PGurus

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here