इस श्रुंखला की यह दूसरा और अंतिम भाग है | इस का पहला भाग इस लिंक पर है |
फ़िरोज़ घंडी से फ़िरोज़ गाँधी कैसे बने?
जनवरी १९४७ की शुरुआत में गाँधी जी और उनका दल कलकाता पहुंचे | ” महात्मा, पूरे कोल्कता के पदयात्रा पर निकले और उन्होंने मुसलमानों से सिफारिश किया कि मेरे हिंदु भाईओं को मत मारो | साथ ही साथ उन्होंने हिन्दुओं को प्रतिक्रियाओं में संयम रहने के लिए अनुरोध किया | उन्होंने समुदाय के नेताओं से बदले की भावना को नष्ट करने को कहा और एक दुसरे को प्यार और मदद करने को कहा, ” कल्याणम याद कर के बताते हैं |
जिन्ना और सुहरावर्दी दोनों से ही निकट सम्बन्ध रखनेवाले कल्याणम इस पक्ष में हैं कि दोनों ही इस्लाम कट्टरपंथी और हिन्दू आलोचक थे
कल्याणम कहते हैं कि हालांकि जवाहरलाल नेहरू ने सत्ता के तथाकथित हस्तांतरण के लिए गांधी जी को समय से नई दिल्ली लौटने को कहा था, पर गाँधी ने नेहरु के निमंत्रण को साफ़ माना कर दिया |
बंगाल में गांधीजी शांति और सामान्यता बहाल करने में सफल रहे । लॉर्ड माउंटबेटन ने इस कार्य के लिए उनकी काफी सराहना की और गांधी को “एकल व्यक्ति सीमा बल” के रूप में वर्णित भी किया । एक पत्र में माउंटबेटन ने गांधी को लिखा था कि ” अर्ध-सैन्य बलों या सेना को भेजकर भी हम इन दंगों को नियंत्रण में नहीं ला पाते लेकिन आप ऐसा करने में सक्षम रहे और आपकी इस उपलब्धि के लिए मैं आपको सलाम करता हूँ “।
कल्याणम के पास भारत की स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित अप्रकाशित तथ्यों का खजाना है । जब पूछा गया कि वह महात्मा के साथ अपने बिताये दिनों का एक संस्मरण क्यों नहीं लिख रहे, तो उन्होंने अपनी विशेष शैली में कहा कि इस मिशन को पूर्ण करने के लिए वे एक बहुत छोटी हस्ती हैं । उन्होंने कहा ” देखिये, मैं एक मामूली व्यक्ति हूँ । मुझसे वरिष्ठ तो प्यारेलाल और महादेव देसाई थे । उनके निधन के बाद ही मुझे महात्मा के निजी सचिव के रूप में नियुक्त किया गया । मैं कुछ ऐसा कैसे कर सकता हूं जो प्यारेलाल और देसाई द्वारा नहीं किया गया है ? वास्तविक दिग्गज तो वो थे जो महात्मा को सलाह देते थे ।
जिन्ना और सुहरावर्दी दोनों से ही निकट सम्बन्ध रखनेवाले कल्याणम इस पक्ष में हैं कि दोनों ही इस्लाम कट्टरपंथी और हिन्दू आलोचक थे । कल्याणम ही थे जिन्होंने कांग्रेस पार्टी को विघटित करने के महात्मा के आज्ञापन को नकार दिया था । कल्याणम ने कहा है कि ” गांधीजी को ऐसी मांग के पीछे ठोस कारण था । कांग्रेस की नींव भारतीय स्वतंत्रता के लिए आंदोलन के लिए रखी गयी थी । इसकी स्थापना का और कोई उद्देश्य नहीं था । ये पार्टी देशवासियों को जुटा सकती थी और पूरे देश का समर्थन रखती थी, केवल उसी कारण से जिसके लिए वह लड़ रही थी । एक बार देश औपनिवेशिक शासन से मुक्त हो गया, कांग्रेस का मकसद भी खत्म हो गया । इसलिए गाँधीजी ने नेताओं के समक्ष कांग्रेस को विघटित कर पूरे देशवासियों के कल्याण के लिए लोक सेवा समिति की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा था ।
पर कांग्रेसी नेताओं ने गाँधी के इस सुझाव / मांग को नज़रअंदाज़ कर दिया । कल्याणम के अनुसार कांग्रेस के नेतृत्व में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलना इसी चीज़ का नतीजा था । उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि मोदी सरकार प्रगतिपथ पर है और मोदीजी सही दिशा में बढ़ रहे हैं ।
कल्याणम जो इस मंगलवार (अगस्त १५) को अपनी ९५वीं सालगिरह मनाए, निराश हैं कि नई पीढ़ी महात्मा गांधी के बारे में बहुत कम जानती है । गांधीयों में वे केवल सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से ही परिचित हैं । यहां तक कि मध्यम आयु वर्ग की जनता को भी गलत धारणा है कि महात्मा गांधी ने इंदिरा गांधी को गोद लिया था और इसलिए उनका यह उपनाम था । कल्याणम ने बताया कि ” इंदिरा से शादी करने वाले व्यक्ति का नाम फिरोज घंडी था। वह कैसे गांधी बने , यह एक रहस्य है । पर इस मामले में महात्मा गांधी की कोई भूमिका नहीं थी । हो सकता है कि यह फिरोज के गलत इरादों के कारणवश किया गया हो । इस वजह से महात्मा के नाम को पहुंचा नुकसान हम स्वयं देख सकते हैं “|
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The role of FAKE/PAID/POLITICALLY MOTIVATED MSM are equally responsible for their FIXATION with the PSEUDO GANDHI SURNAME.