कठुआ बलात्कार और हत्याकांड : अपराध शाखा की चार्जशीट पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा है!

ज़ी न्यूज रिपोर्ट ने कथुआ मामले में अपराध शाखा चार्ज शीट में कई सवाल खड़े कर दिए हैं!

कठुआ बलात्कार और हत्याकांड मामला
अपराध शाखा की चार्जशीट पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा है!

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि कठुआ मामले की जाँच केवल प्रेरित ही नहीं बल्कि राजनीतिक तरीके से सुनियोजित जाँच थी।

कठुआ बलात्कार एवँ हत्याकांड की सबसे महत्वपूर्ण सुनवाई 7 मई को सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली है। उससे पहले एक टीवी चैनल के रिपोर्ट ने इस अहम केस में अपराध शाखा की जांच की विश्वसनीयता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं!

इस आश्चर्यजनक घटनाक्रम के चलते हिंदू एकता मंच के सदस्यों ने, जो तीन महीनों से धरना पर बैठे हुए हैं, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे की मांग की है, ये बताते हुए कि अपराध शाखा टीम राजनीतिक दबाव में काम कर रही थी और उनके मालिकों को खुश करने के लिए एक विशेष समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया।

न्यायालय में दाखिल की गई चार्जशीट में अपराध शाखा ने यह दावा किया है कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी संजी राम ने अपने बेटे विशाल जंगोत्र को बचाने के लिये एक नाबालिक लड़की की हत्या करवाई।

इसके विपरीत मेरठ के एक एसबीआय एटीएम के सीसीटीवी फुटेज में, जिसे टीवी चैनल ने प्रसारित भी किया है,

परंतु एक टीवी चैनल के रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विशाल उस वक़्त, अपराध शाखा के द्वारा चार्जशीट में किये गये दावे के विपरीत, कठुआ में मौजूद ही नहीं था।

टीवी चैनल ने यह भी दावा किया कि विशाल कठुआ में मौजूद नहीं था बल्कि वो परीक्षा में बैठा था और कठुआ से दूर एटीएम से उसने पैसे भी निकाले।

विशाल जिस किराए के आवास में रह रहा था वहाँ के मकान मालिक ने उसके 15 जनवरी को कठुआ से 600 किलोमीटर दूर होने की पुष्टि की है। साथ ही विशाल जिस महाविद्यालय में पढ़ रहा था वहाँ के कॉलेज प्रिंसिपल ने बताया कि विशाल जंगोत्र के लिये किसी ने भी प्रतिरूपण नहीं किया।

चार्जशीट के कुछ अंश

जम्मू कश्मीर पुलिस की आधिकारिक चार्जशीट में बताया गया है कि विशाल जंगोत्र, मुख्य आरोपियों में से एक, 15 जनवरी को कठुआ में मौजूद था और उसने बालिका के मृत शरीर को ठिकाने लगाने में मदद की। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि विशाल जंगोत्र 15 जनवरी शाम को घागवाल से ट्रेन द्वारा मेरठ चला गया.

इसके विपरीत मेरठ के एक एसबीआय एटीएम के सीसीटीवी फुटेज में, जिसे टीवी चैनल ने प्रसारित भी किया है, विशाल जंगोत्र 15 जनवरी दोपहर 3 बजे एटीएम से पैसे निकालने के लिए खड़ा स्पष्ट दिखायी दे रहा है।

बैंक लेनदेन को लेकर किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी को दूर करने टीवी चैनल ने एटीएम पे-स्लिप भी पेश की है जो इस बात की पुष्टि करता है कि बताये गये समय में विशाल जंगोत्र के कार्ड से पैसे निकाले गये थे।

अब सवाल यह उठता है कि यदि प्रसारित किये गये फुटेज से छेड़छाड़ नहीं की गयी है या पहले से ही कुछ अदल-बदल नहीं हुआ है, फिर यह महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली राज्य सरकार की मंशा पर बहुत गंभीर प्रश्न पैदा करता है।

रसाना गाँव के पास के वन क्षेत्र उन इलाकों का हिस्सा है जिसे घुसपैठिये अक्सर इस्तेमाल करते हैं।

सामान्य जनता द्वारा उठाए गए सवालों से राज्य पुलिस के प्रमुख अधिकारीयों के लिये कठिनाइयों का सबब बन गया है क्योंकि वह इस मामले को लेकर खुद की पीठ थपथपा रहे थे और बता रहे थे कि जांच को ईमानदारी एवँ संपूर्ण और कुशल रूप से किया गया है।

क्या ये एक असफल जाँच है?

बचाव पक्ष के वकील अंकुर शर्मा ने मंगलवार को, टीवी चैनल द्वारा प्रसारित की गई रिपोर्ट के आधार पर, अपराध शाखा की जांच को असफल बताया।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जांच राजनीतिक दबाव में और नक़ली साक्ष्यों के आधार पर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाकर की गई है।

जम्मू में पत्रकारों से मुलाकात कर अंकुर शर्मा ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा पुख्ता जाँच से ही नाबालिग लड़की को न्याय मिलेगा।

अंकुर शर्मा ने दावा किया कि केंद्रीय एजेंसी की जाँच से मामले में छिपे रहस्य दूर होंगे और सच्चे अपराधी पकड़े जायेंगे।

उन्होंने नेशनल टीवी चैनल को, कहानी पर काम करने एवँ तथ्यों को बाहर लाकर अपराध शाखा के वाद को खारिज करने के लिये, बधाई दी

उन्होंने यह भी कहा कि कभी-कभी दैवीय हस्तक्षेप महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस मामले में भी हज़ारों लोग आरोपियों के परिवार के साथ है क्योंकि उन्हें पता है कि अपराध शाखा ने यह जांच आरोपियों को फँसाने हेतु ही की है।

शर्मा ने कहा कि यह जाँच केवल प्रेरित ही नहीं बल्कि राजनीतिक तरीके से सुनियोजित जाँच थी।

रसाना गाँव के लोगों को निशाना बनाने के पीछे कारण का खुलासा करते हुए, अंकुर शर्मा ने बताया कि यह प्रांत में जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है।

उन्होंने यह भी कहा कि रसाना गाँव के पास के वन क्षेत्र उन इलाकों का हिस्सा है जिसे घुसपैठिये अक्सर रामकोट से होकर उच्चतर ऊंचाईवाले जगहों पर जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि रसाना गाँव के नजदीक से होती हुई एक छोटी नदी पाकिस्तान में बहती है और संभवतः घुसपैठियों के छिपने के लिए सुरक्षित ठिकाने बनाने हेतु उस इलाके से हिंदुओं को भगाने का प्रयास किया जा रहा है।

अंकुर शर्मा ने दावा किया कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हम देश की सर्वश्रेष्ठ जाँच एजेंसी, सीबीआई या एनआईए, द्वारा पूरी तरह से जांच की मांग कर रहे हैं।

Note:
1. The views expressed here are those of the author and do not necessarily represent or reflect the views of PGurus.

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