सबसे पहले बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के सचिव के रूप में, फिर राजस्व सचिव के रूप में और अब वित्त सचिव के रूप में, गुजरात केडर के हसमुख अधिया वित्त मंत्रालय में सबसे शक्तिशाली अधिकारी हैं। मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री के करीबी होने के कारण, वह पीएमओ और आर्थिक मामलों के विभाग के बाहर एकमात्र नौकरशाह थे, जो नोटबन्दी की प्रक्रिया पर काम कर रहे दल का हिस्सा थे। योग में पीएचडी किये हसमुख अधिया जिस विभाग के प्रमुख हैं, उसमें उनकी एक मजबूत पैठ है, जिन्हें क्रूर और सूक्ष्म प्रबंधन के लिए जाना जाता है और वित्त मंत्रालय के जिस दल के प्रमुख हैं, उसमें कोई मित्र नहीं है इनका। उनके कार्यकाल को हम इन शब्दों से परिभाषित कर सकते हैं – विरोधी, उदासीन और निर्लज्ज।
अगर एक मुद्दा खोजा जाए जो वित्त मंत्रालय में हंसमुख अधिया की पूरी यात्रा को मोतियों की तरह पिरोने का काम करता है, तो यह है –नीरव मोदी।
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में, अब यह स्पष्ट है कि 21,666 उपक्रम के पत्र (एल ओ यू) 26/05/2014 के बाद जारी किए गए थे। यह उल्लेखनीय है कि 1070, 6189, 6669, 5878 एलओयू क्रमशः 2018, 2017, 2016 और 2015 में जारी किए गए थे [1]। इस अवधि के दौरान, अधिया वित्त मंत्रालय में अतिमहत्वपूर्ण कार्यों में कार्यरत थे।
अधिया नवंबर 2014 में वित्त मंत्रालय के बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के विभाग में शामिल हुए थे और अगस्त 2015 में उन्हें राजस्व विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था। एक ऐसा व्यक्ति जिसे उसके बेहतरीन नियंत्रण प्रेम के लिए जाना जाता हो, और किसी भी जांच के लिए अपने विभाग में सभी सूक्ष्म से सूक्ष्म बिन्दुओं को शामिल करता हो, यह काफी अजीब है, बल्कि पेचीदा दिखाई पड़ता है, कि आखिर क्यों अधिया ने ऐसी निरंकुश आपदा को नहीं जाँचा, जो उसी की नाक के नीचे हो रही थी।
यह एक स्पष्ट तथ्य है कि वित्तीय सेवा सचिव के रूप में अदिया के कार्यकाल के दौरान पीएनबी घोटाले में करीब 7000 उपक्रमिक पत्र (ओएलयू) जारी किए गए थे। जब तक वह राजस्व के लिए स्थानांतरित हुआ, तब तक नीरव मोदी और उसके चाचा (गीतांजलि जेम्स के मालिक मेहुल चोक्सी) के लिए भागने हेतु एक शानदार रास्ता तैयार हो चुका था।
जनवरी 2017 के आयकर छापे के विवरण क्यों छिपाएं?
नाम न छापने की सख्त शर्त पर आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आयकर विभाग द्वारा नीरव मोदी समूह के खिलाफ किए गए खोज और जांच से संबंधित दस्तावेज पिगुरूज को प्रदान किये हैं। 13 जनवरी, 2017 को, नीरव मोदी समूह से संबंधित परिसर / निर्धारकों की खोज के लिए मुख्तारनामा प्रदान किया गया था और 14 जनवरी 2017 को उस मुख्तारनामे को निष्पादित कर दिया गया था। कुल 17 स्थानों की तलाशी ली गई थी, जिनमें से 15 मुंबई से हैं और एक-एक दिल्ली और जयपुर में। फर्मों में फायरस्टार डायमंड, फायरस्टार ट्रेडिंग, फायरस्टार इंटरनेशनल, गीतांजलि जेम्स, गीतांजली एक्सपोर्ट्स, गीतांजलि ज्वेलरी रिटेल, गीतांजलि ब्रांड आदि शामिल हैं।
क्या यह एक जानबूझकर चली हुई चाल है ताकि नीरव मोदी समूह के खिलाफ काला धन और बेनामी सम्पत्ति निषेध कानून के तहत कार्यवाही न करें? क्या यह सुनिश्चित किया गया था कि मेहुल चोक्सी और नीरव मोदी के खिलाफ जाँच और छानबीन परिपत्र जारी करने के लिए कोई रास्ता नहीं बचे?
पिगुरूज वर्तमान में प्रामाणिकता के सत्यापन के लिए खोज / जांच से संबंधित दस्तावेजों के प्रकाशन को रोक रहा है। हम – हालांकि – इस मुद्दे को विस्तार से विश्लेषित करेंगे।
सबसे पहले, जैसा कि आयकर विभाग द्वारा पाया गया सबूत सटीक और कानूनी तौर पर मजबूत दिखाई दे रहे थे, तो क्यों उन्होंने सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) के साथ विवरण को साझा नहीं किया? अधिया नियमित समीक्षा बैठकों को आयोजित करने के लिए जाना जाता है और आयकर विभाग राजस्व सचिव के अनुमोदन के बिना कोई बड़ी खोज नहीं करता है। यही मामला है, इतनी बड़ी चूक क्यों हुई? इसके पीछे छिपा हुआ कोई ख़ास तिलिस्म तो नहीं? इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि मीडिया कवरेज के बाद घोटाले की कलई खुल जाने के बाद भी, आयकर विभाग ने सख्ती से साक्ष्यों की रक्षा की है और सीबीआई, ईडी और एफआईयू को सभी दस्तावेज नहीं दिए हैं। क्या यह हसमुख अधिया की अखंडता या पूर्ण अक्षमता का मामला है? अधिया प्रधानमंत्री मोदी के मुख्यमंत्री के दिनों में गुजरात का ऑफिसर था। इस कारण प्रधानमंत्री को उसकी पहचान रही है। अधिया के बर्ताव से साफ जाहिर है कि वह प्रधानमंत्री के काले धन के विरुद्ध चल रहे युद्ध में उनके साथ नहीं है।
दूसरा, मुखबिर अधिकारी के मुताबिक, 15 महीने के बाद भी, आयकर विभाग द्वारा नीरव मोदी मामले में की गई जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है। इन मामलों में काला धन अधिनियम और बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम कभी भी लागू नहीं किया गया। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, मेहुल चोक्सी और नीरव मोदी को संपत्ति पर संपत्ति बेचने की अनुमति दी गई, जबकि कर अधिकारियों ने अनदेखा किया। हमारे मुखबिर के अनुसार, नीरव मोदी के खिलाफ कार्यवाही आगे न बढ़ाने के लिए शीर्ष से सख्त निर्देश थे। क्या अधिया ने इस मामले में कोई निर्देश दिए थे? क्या उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को लूप में रख दिया था या खुद ही फैसला किया था? अगर ये कानून लागू होते, तो नीरव मोदी और मेहुल चोक्सी दोनों के खिलाफ एक चौकसी परिपत्र जारी किया जाता और भारत से उनका पलायन असंभव हो जाता। नीरव मोदी और कर चोरी अलग कहानियाँ नहीं हैं। एक अन्य एजेंसी, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने नीरव मोदी की फर्मों से 1000 करोड़ रुपये (160 मिलियन डॉलर) के गहनों को जब्त कर लिया था। हालांकि, घोटाले बाहर आने तक मोदी पर कोई मुकदमा चलाया नहीं गया था और मोदी भारत से बाहर चला गया। क्यों, श्रीमान अधिया? क्या आपके मंत्रालय में हर एजेंसी पूरी तरह से अक्षम है या क्या आप इस प्रकार के व्यवहार को पुरस्कृत करते हैं, यह एक गंभीर रवैया उभर कर सामने आ रहा है?
तीसरा, वायर वेबसाइट ने हाल ही में टोशखाना में सोना जमा किया था, जिसे 2016 की दीवाली के दौरान नीरव मोदी को अधिया ने कथित तौर पर उपहार में दिया था।[2]
अधिया ने वेबसाइट पर कुबूला कि उसे सोने की सलाखें मिली लेकिन उसने बड़ी ही चतुराई से कहा कि वह नहीं जानता कि उपहार भेजने वाला कौन था! श्रीमान अधिया, आप किसको बेवकूफ बना रहे हैं? एक सरकारी कर्मचारी के रूप में, आपको पहले सीबीआई या दिल्ली पुलिस को सतर्क करना चाहिए था और तोषखाना में जमा करा देना पूरी तरह से अवैध है। यहां आप उस व्यक्ति को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसने सोने की सलाखें उपहार में भेजी थीं।
प्रधान मंत्री को लिखे एक पत्र में भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि नीरव मोदी द्वारा वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को भेंट की गई सोने की सलाखों को तोषखाना में जमा कराया गया था, सिर्फ इसलिए क्योंकि उपहार को नौकर ने दूसरे आईएएस अधिकारी के सामने गलती से खोल दिया था, जो दिवाली की शुभकामनाएं देने के लिए आए थे। हालांकि, स्वामी ने किसी भी अधिकारी का नाम नहीं लिया, जिन्होंने इन संदिग्ध उपहारों को प्राप्त किया। अविश्वसनीय ही सही पर सच्चाई तो यह है कि तोषखाने अभिलेखों में कहीं भी स्वर्ण पट्टियों का उल्लेख नहीं है। यह सोने के पट्टे जो गायब है और खुफिया मुखबिर आदमी की वजह से आनेवाले दिनों में अधिया को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा।
उदय सिंह कुमावत (राजस्व विभाग में संयुक्त सचिव), जो आधिया प्रशासन में विश्वसनीय अधिकारी थे, ने भी इस मामले में बहुत सारी बदमाशियाँ की हैं। क्या वह इस मामले में अधिया के लिए एक मध्यस्थ के रूप में काम करता था? क्या यही कारण है कि कुमावत और उसकी अय्याशियों को अधिया ने अनदेखा किया, जो कि पीगुरूज ने विस्तार से बताया है?[3] क्या कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने वित्त मंत्रालय में उसके कार्यकाल का विस्तार करने के उद्देश्य से उसे पुरस्कृत किया था? क्या यह सब जानकारी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी से छुपी हुई थी?
क्या यह एक जानबूझकर चली हुई चाल है ताकि नीरव मोदी समूह के खिलाफ काला धन और बेनामी सम्पत्ति निषेध कानून के तहत कार्यवाही न करें? क्या यह सुनिश्चित किया गया था कि मेहुल चोक्सी और नीरव मोदी के खिलाफ जाँच और छानबीन परिपत्र जारी करने के लिए कोई रास्ता नहीं बचे? क्या वहां एक बचाव योजना तैयार की गई और जिसे नीरव मोदी को उसकी मदद करने के लिए सौंप दिया गया था?
इस लेख में उत्तरों से अधिक प्रश्न सामने आ गए हैं, हालांकि हमारे पास नीरव मोदी के मामले से संबंधित कई दस्तावेज हैं, हम उन्हें यहां आपके सामने लाने से पहले इसकी पुष्टि कर रहे हैं। एक सवाल है जो उत्तर चाहता है – हसमुख अधिया ने अपनी ओछी महत्वाकांक्षाओं के लिए उन सभी सिद्धांतों और नैतिकता की बलि चढ़ा दी, जिन पर इस सरकार ने भ्रष्टाचार से लड़ने का वादा किया था?
अधिया अपनी सतर्कता और कठोर निर्णय के लिए काफी चर्चित हैं और अधिकांश मामलों में, उन्होंने बहुत कठोर निर्णय लिए, जिन्हें मंत्रालय में कभी नहीं सुना था। पीगुरूज आदिया को आईना दिखाते हुए काफी खुश है और हम चाहते हैं कि आदिया जिस तरह का सतर्कता और कठोर निर्णय वाला चोला मंत्रालय में ओढ़े थे उसी के अनुसार अपने ही नियमों का पालन करें। अधिया को अब जवाब देने की जरूरत है और हम महत्वपूर्ण सवालों को पूछना जारी रखेंगे। उन्हें जवाब देना होगा कि उन्होंने जनवरी 2011 में नीरव मोदी और चाचा मेहुल चोकसी की फर्मों में आयकर छापे के निष्कर्षों को क्यों रोक दिया?
सच्चाई में खुद को प्रकट करने की एक अलौकिक क्षमता होती है और हम सच्चाई के लिए हमारी खोज जारी रखेंगे।
[1] IT is still hushing up the probe against Chidambaram family under Black Money and Benami Acts – Mar 20, 2018, PGurus.com
[2] Exclusive: Finance Secretary Received Gold Biscuits as Gift for Diwali But Failed to Order Probe – Mar 13, 2018, TheWire.com
[3] More muck and sleaze tumbles out from the cupboards of the Finance Ministry – Mar 18, 2018, PGurus.com
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