केंद्रीय जांच विभाग (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पी चिदंबरम से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों की कार्यवाही अभी तक एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी है।
क्या सी-कंपनी के चमचे वित्त मंत्रालय में अपने संबंधों का गलत इस्तेमाल कर काला धन एवं बेनामी संपत्ति अधिनियम के तेहत की जा रही जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं?
हालांकि केंद्रीय जांच विभाग (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके परिवार से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्यवाही कर रहे हैं, एक और संगठन, आयकर विभाग (आईटी) की कार्यवाही अभी तक एक इंच भी काले धन अधिनियम और बेनामी अधिनियम के तहत आगे नहीं बढ़ी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के तहत आयकर विभाग ने अब भी चिदंबरम और परिवार के सदस्यों द्वारा 14 देशों में अवैध धन जमा करने के मामलों में विलंब करने की रणनीति अपनाई हुई है।[1]
एयरसेल-मैक्सिस जांच [2] के दौरान बेटे कार्ति चिदम्बरम की फर्मों के संबंध में दिसंबर 2015 में ईडी और आयकर की चेन्नई यूनिट द्वारा संयुक्त छापे में चिदंबरम और उसके परिवार के सदस्यों की संपत्ति का पता चला था। आयकर विभाग की चेन्नई यूनिट द्वारा 2016 के मध्य में 14 देशों में परिवार द्वारा अवैध संपत्ति पर 200 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट और 21 अवैध विदेशी बैंक खातों की जानकारी बाहर आई थी। लेकिन सीबीडीटी के वरिष्ठ अधिकारी और वित्त सचिव हसमुख अधिया और संयुक्त सचिव (राजस्व) उदय सिंह कुमावत जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की और फरवरी 2017 में भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा इस मामले को जनता के सामने लाया गया।
विश्वसनीय सूत्रों ने पीगुरूज को बताया कि अधिया ने जानबूझकर रिक्त पदों को भरने में देरी की है ताकि सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्र को विस्तार देने की इच्छा पूरी हो सके।
डॉ. स्वामी की शिकायत पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीबीडीटी को जून, 2017 में चिदंबरम परिवार द्वारा जमा की गई अवैध संपत्ति पर नए काले धन और बेनामी सम्पत्ति अधिनियमों के तहत मामलों की जांच और मामले दर्ज करने का आदेश दिया। लेकिन आज तक, सुशील चंद्र आईआरएस की अध्यक्षता में सीबीडीटी ने एक भी ऐसा कदम नहीं उठाया है, सिर्फ एक के अलावा जिसमें 14 देशों को पत्र लिखकर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की चिदंबरम परिवार की संपत्ति की पुष्टि की जा रही है। पिगुरूज ने एक लेख जिसका शीर्षक ‘चिदम्बरम रहस्य’1 था, में चिदम्बरम की 14 देशों की अवैध संपत्ति और 21 विदेशी बैंक खातों का विवरण दिया है।
वित्त मंत्रालय और सीबीडीटी के शीर्ष अधिकारियों ने काला धन कानून और बेनामी सम्पत्ति अधिनियम के तहत इन दो महत्वपूर्ण मामलों में कार्य करने में जानबूझकर विलंब किया है। इन 14 देशों को पत्र लिखने और उत्तर आने का इंतजार करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जब आयकर विभाग की चेन्नई इकाई ने सभी विवरण पाये हैं। भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की बजाय, अरुण जेटली के वित्त मंत्रालय के तहत सीबीडीटी अपने पुराने मालिक चिदंबरम को बचाने के लिए रणनीति खेल रहा है।
इस पूरे मामले में सबसे बुरा यह है कि सीबीडीटी ने सीबीआई और ईडी के साथ कोई विवरण साझा नहीं किया है। वित्त सचिव हसमुख अधिया महत्वपूर्ण मामलों में जांच की प्रगति पर सीबीडीटी के अध्यक्ष के साथ पाक्षिक समीक्षा बैठक आयोजित करता है। चिदंबरम से सम्बंधित मामलों में कोई प्रगति क्यों नहीं हुई है?
अब यह सुनने में आ रहा है कि अधिया सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्र के लिए दूसरे विस्तार की सिफारिश कर रहा है। सीबीडीटी की जांच के सदस्य गोपाल मुखर्जी, जनवरी 2017 में सेवानिवृत्त हुए। उनकी सेवानिवृत्ति से खाली हुआ पद अभी तक भरा नहीं गया है। सचिवों की समिति पूरी हुई है लेकिन निर्णय नहीं किया गया है। ऐसा महत्वपूर्ण पद रिक्त क्यों रखा जा रहा है?
विश्वसनीय सूत्रों ने पीगुरूज को बताया कि अधिया ने जानबूझकर रिक्त पदों को भरने में देरी की है ताकि सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्र को विस्तार देने की इच्छा पूरी हो सके। क्योंकि वर्तमान बोर्ड के सभी सदस्यों को अगले 5-6 महीनों में रिटायर होने की उम्मीद है।
यह सीबीडीटी की स्थिति है जो आयकर विभाग का अतिमहत्वपूर्ण अंग है, जो कई अतिसंवेदनशील मामलों को संभाल रहा है। और इन अतिमहत्वपूर्ण मामलों में आयकर ने अभी तक कोई आपराधिक मुकदमा चलाया नहीं है। इस देश के वित्त मंत्रालय में बहुत कुछ काला हो रहा है, जो अभी भी पूर्व दागी वित्त मंत्री पी चिदंबरम के प्रभाव में है।
संदर्भ
[1] Chidambara Rahasya – Details of huge secret assets & foreign bank accounts of Chidambaram family – Mar 15, 2017, PGurus.com
[2] Aircel-Maxis deal: Noose tightens around Chidambaram’s son – Dec 1, 2015, PGurus.com
[3] Video of Swamy’s Press Conference on Chidambaram – Feb 20, 2017, PGurus.com
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